चंडीगढ़ : स्थित सीएफएसएल-पीयू (सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी-पंजाब यूनिवर्सिटी) ने एक अनूठी और क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है, जिससे अब खून और यूरिन के सैंपल से किसी भी प्रकार के जहर की पहचान मात्र 40 मिनट में हो सकेगी। इतना ही नहीं, इस प्रक्रिया में खर्च भी बेहद कम, सिर्फ 25 रुपये आएगा।
इस नई तकनीक का आधार रोटेटिंग पेपर डिस्क (आरपीडी) डिवाइस है, जो बायोडिग्रेडेबल सेल्यूलोज पर आधारित है। यह डिस्पोजेबल डिवाइस एक बार इस्तेमाल के लिए तैयार किया गया है। इसके कारण न तो कैरीओवर (सैंपल के अवशेष का दूसरे टेस्ट पर असर) की संभावना रहती है और न ही यह प्रक्रिया किसी भी प्रकार से असुरक्षित होती है।
इस डिवाइस का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह अत्यंत सरल, सस्ती और पोर्टेबल है। किसी बड़े उपकरण या हाई-एंड लैब की आवश्यकता नहीं पड़ती। यह तकनीक विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे अस्पतालों में भी बड़ी उपयोगी साबित हो सकती है, जहां अत्याधुनिक टेस्टिंग सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं।
सीएफएसएल-पीयू के वैज्ञानिकों ने बताया कि अब तक जहर की पहचान में कई घंटों या कभी-कभी दिनों का समय लग जाता था। इसके अलावा, इसकी लागत भी काफी ज्यादा होती थी। लेकिन अब इस डिवाइस से यह प्रक्रिया मिनटों में पूरी हो सकेगी, जिससे जहर के मामलों में तत्काल चिकित्सा निर्णय लेना संभव हो सकेगा।
वर्तमान में इस डिवाइस को विभिन्न प्रकार के जहरों के लिए टेस्ट किया गया है और यह सभी परीक्षणों में सफल रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में इसे और अधिक व्यापक रूप से विभिन्न अस्पतालों और फॉरेंसिक लैब्स में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
इस तकनीक के चलते फॉरेंसिक जांच की गति और गुणवत्ता में बड़ा सुधार आएगा। साथ ही, यह आम लोगों के लिए भी राहत की खबर है क्योंकि महंगे टेस्टों की तुलना में अब सस्ता और तेज विकल्प उपलब्ध रहेगा।
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