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डोनाल्ड ट्रंप का नया दावा: तीसरे कार्यकाल की इच्छा

अमेरिकी राष्ट्रपति ने इतिहास बदलने की जताई तैयारी…..

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अमेरिका : के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से सुर्खियां बटोरी हैं। इस बार उन्होंने अमेरिकी राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। हाल ही में एक रैली के दौरान ट्रंप ने इशारा किया कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए तीसरे कार्यकाल की इच्छा रखते हैं। यह बयान अमेरिका के संवैधानिक नियमों के खिलाफ है, क्योंकि वहां कोई भी राष्ट्रपति दो बार से अधिक पद पर नहीं रह सकता। ट्रंप के इस बयान ने अमेरिकी राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

डोनाल्ड ट्रंप, जो 2017 से 2021 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे, 2024 के चुनावों में फिर से उम्मीदवार के रूप में सामने आ सकते हैं। हालांकि, उनके हालिया बयान ने यह संकेत दिया है कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो वह संविधान में बदलाव कराकर तीसरी बार भी चुनाव लड़ना चाह सकते हैं। यह बयान उनके समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है, वहीं उनके विरोधियों ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया है।

अमेरिकी संविधान के 22वें संशोधन के तहत, कोई भी व्यक्ति दो बार से अधिक राष्ट्रपति पद पर नहीं रह सकता। यह कानून 1951 में लागू किया गया था ताकि कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक सत्ता में न रह सके। लेकिन ट्रंप अपने बयानों से संकेत दे रहे हैं कि वह इस नियम को चुनौती देने के लिए तैयार हैं।

ट्रंप ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर वह फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो वह अमेरिका को और भी मजबूत और सुरक्षित बनाएंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि 2020 का चुनाव उनसे धोखाधड़ी करके छीना गया था और वह इसे सही साबित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उनके इस बयान के बाद कई रिपब्लिकन नेताओं ने उनका समर्थन किया, जबकि डेमोक्रेट्स ने इसकी आलोचना की।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान उनके कट्टर समर्थकों को उत्साहित करने और 2024 के चुनावों के लिए माहौल तैयार करने का एक प्रयास है। हालांकि, कानूनी रूप से तीसरे कार्यकाल की संभावना न के बराबर है, लेकिन ट्रंप की रणनीति हमेशा अप्रत्याशित रही है। उनके समर्थक मानते हैं कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका को फिर से एक मजबूत राष्ट्र बनाया जा सकता है, जबकि उनके विरोधी इसे तानाशाही की ओर बढ़ता कदम बता रहे हैं।

अमेरिकी राजनीति में ट्रंप हमेशा से विवादों का केंद्र रहे हैं। उनके बयानों और नीतियों पर हमेशा बहस होती रही है, लेकिन इस बार उन्होंने सीधे-सीधे अमेरिकी संविधान की एक बड़ी बाधा को चुनौती दी है। अब देखना होगा कि उनके इस बयान पर अमेरिकी जनता और वहां के राजनीतिक दल क्या प्रतिक्रिया देते हैं।


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