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क्या भोपाल का गांव वक्फ बिल से उजड़ेगा..

600 परिवारों पर बेदखली की तलवार, भाजपा ने बनाया सियासी हथियार…

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भोपाल, मध्य प्रदेश : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे एक गांव में वक्फ बोर्ड द्वारा जमीन पर दावा किए जाने के बाद 600 से अधिक परिवारों के बेदखल होने का खतरा मंडरा रहा है। यह मामला तब और गर्म हो गया जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना लिया और इसे वक्फ अधिनियम में संशोधन की मांग के साथ जोड़ दिया।

गांववासियों का दावा है कि वे दशकों से इस जमीन पर रह रहे हैं। यहां उनके घर हैं, स्कूल हैं, मंदिर हैं और सामाजिक गतिविधियों के लिए बनाए गए सामुदायिक भवन भी हैं। लेकिन हाल ही में वक्फ बोर्ड द्वारा यह दावा किया गया कि यह जमीन उनके रिकॉर्ड में वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज है। इसके आधार पर प्रशासन की ओर से गांववासियों को बेदखली का नोटिस दिया गया है, जिससे गांव में अफरा-तफरी का माहौल है।

इस मुद्दे को लेकर पूरे गांव में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें उनके घरों से न निकाला जाए। गांव वालों का कहना है कि उन्होंने वर्षों की मेहनत से यह ज़मीन ली और बसाई है, लेकिन अब उन्हें एक पुराने रिकॉर्ड के आधार पर उजाड़ा जा रहा है।

भाजपा ने इस मामले को तेजी से उठाया है और इसे “हिंदू विरोधी नीति” करार दिया है। भाजपा नेता गांव का दौरा कर रहे हैं और मंचों से यह कह रहे हैं कि वक्फ कानून एकतरफा है और उसमें आम नागरिकों के हितों की अनदेखी की जा रही है। भाजपा के अनुसार, इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर संसद तक उठाया जाएगा।

इस पूरे विवाद ने राज्य की राजनीति को गर्मा दिया है। विपक्षी दलों ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह इस संवेदनशील मुद्दे को सांप्रदायिक रंग दे रही है और इसे आगामी चुनावों में भुनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन गांववासियों का कहना है कि यह राजनीति से ज्यादा उनके अस्तित्व का सवाल है।

वक्फ बोर्ड की तरफ से अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं आया है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि वे कानूनी प्रक्रिया के तहत ही कार्य कर रहे हैं। कानूनी जानकारों के अनुसार, वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों में दस्तावेज़ों की सटीकता और पारदर्शिता बेहद जरूरी है, जो अक्सर नहीं होती और ऐसे में विवादों की संभावना बढ़ जाती है।

भोपाल के इस गांव का मुद्दा अब सिर्फ ज़मीन और बेदखली का नहीं रहा, यह राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का केंद्र बन चुका है। देखना यह है कि सरकार इस विवाद का क्या हल निकालती है और क्या इन 600 परिवारों को उनका घर बचाने में मदद मिल पाती है या नहीं।


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