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13 साल में नहीं कर पाई PhD, ईरानी छात्रा हाईकोर्ट पहुंची..

गोल्डन चांस मिलने के बावजूद अधूरी रही पढ़ाई, शरणार्थी दर्जा मांगने की भी अपील..

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चंडीगढ़ : एक ईरानी छात्रा ने 13 साल में पीएचडी पूरी न कर पाने के कारण पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। छात्रा ने अदालत से गुहार लगाई है कि उसे फिर से एक और मौका दिया जाए ताकि वह अपनी अधूरी पीएचडी पूरी कर सके। इसके साथ ही उसने भारत में रिफ्यूजी यानी शरणार्थी का दर्जा देने की भी मांग की है।

छात्रा ने अपने याचिका में बताया कि वह एक दशक से अधिक समय से भारत में रह रही है और पीएचडी कर रही थी, लेकिन कुछ व्यक्तिगत और सामाजिक परिस्थितियों के चलते वह अपनी डिग्री समय पर पूरी नहीं कर पाई। यूनिवर्सिटी ने उसे गोल्डन चांस भी दिया था, लेकिन वह उसका भी लाभ नहीं उठा सकी।

अब छात्रा ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि उसकी विशेष स्थिति को देखते हुए उसे दोबारा मौका दिया जाए ताकि वह अपना अकादमिक करियर पूरा कर सके। साथ ही उसने यह भी तर्क दिया कि ईरान लौटने पर उसे राजनीतिक और सामाजिक कारणों से प्रताड़ना झेलनी पड़ सकती है, इसलिए उसे भारत में शरणार्थी का दर्जा दिया जाए।

याचिका में छात्रा ने यह भी कहा कि उसने भारत में रहते हुए सभी नियमों का पालन किया है और वह भारतीय संस्कृति और समाज में घुल-मिल चुकी है। ऐसे में उसे शिक्षा पूरी करने और यहीं रहने का अधिकार मिलना चाहिए।

इस मामले में हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रशासन और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि क्या छात्रा की शिक्षा पूरी करने में कोई कानूनी या प्रशासनिक बाधा है और रिफ्यूजी स्टेटस की मांग पर केंद्र का क्या रुख है।

यह मामला न केवल शिक्षा के अधिकार से जुड़ा है, बल्कि मानवाधिकार और मानवीय आधार पर भी चर्चा का विषय बन गया है। यदि छात्रा को राहत मिलती है, तो यह उन अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक मिसाल बन सकती है, जो विशेष परिस्थितियों में भारत में रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं।


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