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स्तनपान बच्चे के सम्पूर्ण पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु उत्तम विकल्प: डॉ नरेश पुरोहित

हमारे सामुदायिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ *डॉ नरेश पुरोहित, (विजिटिंग प्रोफेसर, एनआईआरईएच, भोपाल), बच्चों के सुपोषण एवं स्तनपान द्वारा बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के विषय में जानकारी साझा करते हुए

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भोपाल: स्तनपान बच्चे के सम्पूर्ण पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु उत्तम विकल्प है |
यदि छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान और उसके बाद दो साल तक स्तनपान के साथ पूरक पोषाहार दिया जाये तो बच्चा सुपोषित होगा । यह खुलासा राष्ट्रीय सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार  डॉ नरेश पुरोहित ने विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर विदिशा स्थित शासकीय अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल काॅलेज द्वारा आयोजित एक सेमिनार में करते हुए बताया कि शोध से ये निष्कर्ष सामने आये हैं कि यदि नवजात को जन्म के एक घंटे के अंदर माँ का दूध दिया जाए और छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाए तो बाल मृत्यु दर में 22 फीसद तक की कमी आ सकती है । इसे लेकर जागरूकता फैलानी बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि घरों और अस्पतालों में डिब्बा बंद दूध को हतोत्साहित किया जाये। कार्यस्थल पर, सार्वजानिक स्थानों पर स्तनपान कक्ष की व्यवस्था करें जिससे बिना संकोच माताएं बच्चों को स्तनपान करा पायें| इन सब प्रयासों से भावी पीढ़ियों का अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित होगा।

उन्होने बताया कि केवल स्तनपान का मतलब है छह महीने तक केवल माँ का दूध, इसके अलावा और कुछ भी नहीं I
उन्होने कहा कि स्तनपान एक जीवन रक्षक व्यवहार है। जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान शुरू कराने और छह महीने तक केवल स्तनपान कराने से न केवल शिशु की पोषण सम्बन्धी सभी ज़रूरतें पूरी होती हैं, बल्कि माँ का दूध बच्चे को संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है और उसके शारीरिक और बौद्धिक विकास में भी सहायता करता है।
उन्होने आगे कहा कि स्तनपान से शिशु वयस्क होने पर मोटापे और जीवनशैली संबंधी बीमारियों की संभावना को भी रोकता है।
उन्होने जानकारी दी कि यूनीसेफ के अनुसार 45 फ़ीसद बच्चों की मौतों का कारण अल्पपोषण से जुड़ा है।
छह माह तक के कुल 44 फीसद शिशु केवल स्तनपान करते हैं । विश्‍व स्वास्थ्य संगठन के अनुसर ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को स्तनपान के लिए प्रेरित कर स्तनपान दरों में सुधार लाया जाए तो हर साल 8,20,000 हजार से अधिक बच्चों की जान बचाई जा सकती है।यदि सभी बच्चों को शून्य से 23 माह तक स्तनपान कराया जाता है तो पाँच वर्ष तक की आयु के 8.20 लाख से अधिक बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है। स्तनपान बच्चों की आईक्यू लेवल और स्कूल की उपस्थिति में सुधार करता है | इसके अलावा वयस्क जीवन में उच्च आय से जुड़ा हुआ है।

सेमिनार मे विशेषज्ञो ने बताया कि स्तनपान से बच्चे के विकास में तो सुधार तो होता ही है इसके अलावा स्वास्थ्य लागत कम होने से व्यक्तिगत परिवारों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी आर्थिक लाभ होता है।

उन्होने बताया कि मध्य प्रदेश में केवल स्तनपान की स्थिति राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) –5 के अनुसार केवल 60 फीसद बच्चों ने छह माह तक केवल स्तनपान किया है जबकि 81 फीसद बच्चों ने जन्म के पहले दिन स्तनपान शुरू किया है | केवल 24 फीसद शिशुओं को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराया गया है।

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*डॉ नरेश पुरोहित  (DNB, DIH, MHA, MRCP(UK): एक एपीडेमियोलॉजिस्ट हैं। भारत सरकार के नेशनल संक्रमण रोग रोकथाम प्रोग्राम के सलाहकार। राष्ट्रीय वातावरण एवं स्वास्थ्य रिसर्च इंस्टीट्यूट, भोपाल, के प्रोफेसर एवं किडनी केयर स्ट्डीज की संस्था के मुख्य अन्वेषक भी हैं ।       

डॉ पुरोहित ‘ अस्पताल मैनेजमेंट एसोसियन’ के प्रमुख सलाहकार भी हैं।

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