किसानों को 21 दिन में मिलेगा एलओआई | सरकारी योजना में तेजी
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21 दिन में मिलेगा किसानों को एलओआई

सरकार ने किसानों के हित में बनाई नई लैंड पूलिंग नीति, मुआवजा राशि परियोजना के पूरा होने तक दी जाएगी……

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चंडीगढ़-पंजाब: पंजाब सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत अब किसानों को उनकी जमीन अधिग्रहित करने के 21 दिनों के भीतर ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ (एलओआई) प्रदान किया जाएगा। यह एलओआई एक वैधानिक दस्तावेज होगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि किसान को उसकी जमीन के बदले लाभ क्या मिलेगा और वह कब तक मिलेगा।

यह पहल किसानों के मन में उपजे संशय को दूर करने के लिए की गई है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि सरकारी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण तो कर लिया जाता है, लेकिन वर्षों तक किसानों को न तो उचित मुआवजा मिलता है और न ही भविष्य की कोई योजना दी जाती है। इस समस्या का हल अब एलओआई के रूप में सामने आया है।

एलओआई में स्पष्ट रूप से यह लिखा होगा कि जमीन का इस्तेमाल किस प्रोजेक्ट में किया जा रहा है, प्रोजेक्ट की समयसीमा क्या है और किसान को किस-किस चरण में क्या-क्या लाभ प्राप्त होगा। यह एक कानूनी दस्तावेज होगा, जिससे किसान को अधिकार मिलेगा कि अगर सरकार समय पर परियोजना पूरी नहीं करती या जमीन का उपयोग तय योजना के अनुसार नहीं होता, तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।

सरकार की मंशा यह है कि किसानों को न केवल मुआवजा मिले, बल्कि उनका विश्वास भी सरकार की योजनाओं पर बना रहे। इसलिए इस नीति में यह भी प्रावधान किया गया है कि जब तक परियोजना पूरी नहीं होती, तब तक किसानों को मुआवजा राशि चरणबद्ध तरीके से दी जाएगी। यह राशि उन्हें आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाए रखेगी और वे बिना डर के अपनी भूमि सरकार को सौंप सकेंगे।

लैंड पूलिंग पॉलिसी में यह भी तय किया गया है कि किसानों को भूमि के बदले केवल एकमुश्त रकम नहीं दी जाएगी, बल्कि उनके लिए भविष्य की आय का भी प्रबंध होगा। इसमें उन्हें विकसित क्षेत्र में जमीन का एक हिस्सा वापस दिए जाने की संभावना भी शामिल है, जिससे वे आगे उसे किराए पर देकर या व्यवसाय के लिए उपयोग कर सकें।

इस नीति को लेकर किसानों में सकारात्मक माहौल देखा जा रहा है। कई किसान संगठनों ने इसका स्वागत किया है और कहा है कि यह एक ऐतिहासिक कदम है जो किसान हितैषी सोच को दर्शाता है। सरकार की यह नीति न केवल भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल बनाएगी, बल्कि राज्य में विकास कार्यों में तेजी लाने में भी सहायक होगी। यदि यह नीति ईमानदारी से लागू की जाती है, तो यह किसानों और सरकार के बीच की दूरी को कम कर एक नया विश्वास स्थापित करेगी।

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