76 वर्षीय महिला से 11 लाख की ठगी
बुजुर्ग जेनी ली आठ महीनों से न्याय के लिए भटक रहीं, कोर्ट ने साइबर थाना और बैंक से मांगा जवाब
चंडीगढ़ उम्र के उस पड़ाव पर जहां इंसान को आराम और सम्मान की जरूरत होती है, वहीं 76 वर्षीय बुजुर्ग महिला जेनी ली को साइबर ठगी का शिकार बनाकर न सिर्फ आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया, बल्कि उन्हें पिछले आठ महीनों से न्याय के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर कर दिया गया है। सेक्टर-35ए में रहने वाली जेनी ली के साथ 11 लाख रुपये की धोखाधड़ी हुई है, लेकिन अब तक उन्हें किसी भी स्तर पर राहत नहीं मिल पाई है।
जेनी ली का जन्म भारत में हुआ था लेकिन वह मूल रूप से चीन की निवासी हैं। वह वर्षों से चंडीगढ़ में रह रही हैं और एक साधारण, सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर रही थीं। लेकिन अचानक एक दिन उन्हें एक फोन कॉल के माध्यम से साइबर ठगी का शिकार बनाया गया। धोखेबाजों ने खुद को बैंक प्रतिनिधि बताकर उनके बैंक खाते की जानकारी ली और देखते ही देखते उनके खाते से 11 लाख रुपये साफ हो गए।
इस घटना ने जेनी को अंदर तक तोड़ दिया। उन्होंने इस मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाना सेक्टर-17 में दर्ज करवाई, लेकिन कई महीनों तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस के चक्कर लगाते-लगाते वे थक गईं, लेकिन न्याय नहीं मिला। आखिरकार उन्होंने जिला अदालत का सहारा लिया।
अब जाकर जिला अदालत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए साइबर थाना प्रभारी और संबंधित बैंक – बंधन बैंक कोलकाता को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है। अदालत ने दोनों पक्षों से कहा है कि वे स्पष्ट करें कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आगे क्या कदम उठाए जाएंगे। जेनी ली की हालत देखकर स्थानीय लोग और समाजसेवी बेहद व्यथित हैं। एक अकेली बुजुर्ग महिला को न्याय के लिए यूं भटकना पड़ रहा है, यह समाज और व्यवस्था दोनों के लिए चिंता का विषय है।
वृद्धावस्था में जब किसी को सहारा चाहिए होता है, तब इस प्रकार की ठगी और फिर न्याय के लिए संघर्ष करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह मामला न केवल साइबर सुरक्षा की गंभीर खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि पीड़ितों को कानूनी प्रक्रिया से न्याय प्राप्त करने में कितनी कठिनाई होती है, विशेषकर जब वे बुजुर्ग हों और तकनीकी रूप से सशक्त न हों। जेनी ली की अपील है कि देश की न्याय प्रणाली ऐसी ठगी का शिकार हुए लोगों को जल्द और प्रभावी राहत प्रदान करे ताकि कोई और बुजुर्ग इस तरह की पीड़ा से न गुजरे। अब सबकी निगाहें अदालत की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।