हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने पत्नी को नॉमिनी होने के बावजूद क्लेम देने से किया इनकार, लगाया जुर्माना
चंडीगढ़: डेराबस्सी की कंचन वर्मा (42) के पति की मृत्यु के बाद, नॉमिनी होने के बावजूद पॉलिसी का लाभ न मिलने और उस रकम का लोन अकाउंट में एडजस्ट न करने पर बीमा कंपनी को महंगा पड़ गया। कंचन ने उपभोक्ता आयोग में श्रीराम हाउसिंग फाइनेंस और श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। आयोग ने कंपनियों को सेवा में कमी और गैरकानूनी ढंग से क्लेम खारिज करने का दोषी पाया।
आयोग ने आदेश दिया कि श्रीराम हाउसिंग फाइनेंस का पेंडिंग राशि श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस कंपनी द्वारा भरी जाएगी। शिकायतकर्ता को यह रकम 10 प्रतिशत ब्याज समेत लौटाने और प्रॉपर्टी के वास्तविक दस्तावेज वापस करने का भी निर्देश दिया गया। इसके साथ ही, कंपनी को कंचन को 30 हजार रुपये मानसिक तनाव और अदालती खर्च के मुआवजे के रूप में भरने होंगे।
कंचन ने 2020 में दायर शिकायत में बताया कि उसके पति, अजय कुमार ने अगस्त 2018 में उक्त कंपनी से 16.70 लाख रुपये का प्रॉपर्टी लोन लिया था, जिसके साथ कंपनी ने डेथ क्लेम पॉलिसी भी बेची थी। यह लोन 20 साल के लिए था, जिसकी मासिक किश्त 19,472 रुपये थी। कंपनी ने उसके पति को लाइफ इंश्योरेंस के लिए ललचाया और किश्त 20,695 रुपये करने को कहा, जिससे लोन की राशि बढ़कर 17.67 लाख रुपये हो गई थी।
कंचन के अनुसार, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में वह नॉमिनी थी और उनके पति की मृत्यु के बाद क्लेम की रकम को हाउसिंग लोन में एडजस्ट करने की मांग की गई थी। हालांकि, इस राशि को एडजस्ट करने की बजाय शिकायतकर्ता से लोन रकम भरने के लिए कहा गया। इसके दौरान उनके पति का कोई मेडिकल एग्जामिनेशन नहीं करवाया गया और केवल दस्तावेज लिए गए। मृत्यु के बाद बीमारियों का हवाला देते हुए क्लेम खारिज कर दिया गया, जबकि कंचन का कहना है कि पॉलिसी लेते समय उनके पति किसी बीमारी से पीड़ित नहीं थे।
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