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हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में 50% कमी, सीजन खत्म होने के कगार पर

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चंडीगढ़। इस साल हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में बड़ी गिरावट देखी गई है। पिछले कुछ वर्षों की तुलना में इस बार पराली जलाने की घटनाओं में 50% कमी आई है। 15 सितंबर से 10 नवंबर तक 56 दिनों में कुल 922 मामले दर्ज किए गए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 1917 मामले थे, जो 51% कम हैं।

इस सीजन में लगभग 85% धान की फसल की कटाई हो चुकी है, और पराली जलाने का सीजन अब खत्म होने के कगार पर है। राज्य सरकार और हरियाणा स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मिलकर इस समस्या को कम करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।

पराली जलाने में कमी: इस साल पराली जलाने के मामलों में 50% की कमी दर्ज की गई है। 2023 में 1917 केस थे, जबकि 2024 में 922 केस।

कृषि विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रयास: सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहन दिए जाने और सख्त कानूनों के तहत पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है।

पराली प्रबंधन योजना: हरियाणा सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन देने की योजना शुरू की है। इसके अलावा, किसानों को पराली के प्रबंधन के लिए विभिन्न कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त कार्रवाई: पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है, जिससे किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने और रेड एंट्री जैसी कार्रवाई हो रही है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम: हरियाणा में बेहतर पराली प्रबंधन के लिए नासा द्वारा मानचित्र पर प्रदर्शित किया गया है, जो राज्य की नीतियों की सफलता को दर्शाता है। इसके अलावा, ईंधन और बिजली उत्पादन के लिए पराली का इस्तेमाल भी बढ़ाया जा रहा है, जिससे प्रदूषण की समस्या को कम किया जा सकता है।

हरियाणा में इस साल पराली जलाने के मामलों में 50% की कमी आई है। 15 सितंबर से 10 नवंबर तक 922 मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 1917 मामले थे। हरियाणा सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के लिए उठाए गए कदमों के कारण प्रदूषण में कमी आई है।


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