सैलरी गई, जान भी चली गई: संविदा ट्यूबवेल ऑपरेटर की दर्दनाक कहानी..
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चंडीगढ़ नगर निगम के संविदा कर्मचारी की तनख्वाह न मिलने पर मौत, चार दिन बाद बेटे की भी गई जान, परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़….

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चंडीगढ़ : नगर निगम में संविदा पर काम करने वाले ट्यूबवेल ऑपरेटर राजेश शर्मा की जिंदगी एक करुण कहानी बनकर सामने आई है जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। राजेश शर्मा पिछले कई वर्षों से नगर निगम के अधीन ट्यूबवेल ऑपरेटर के पद पर कार्यरत थे लेकिन फरवरी में उनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया और उसके बाद से उन्हें सैलरी नहीं मिली जिससे वे मानसिक तनाव में आ गए। रोज़गार को लेकर चिंता, घर चलाने की मजबूरी और सिस्टम की बेरुखी ने राजेश शर्मा को इस कदर तोड़ दिया कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। लेकिन दुख यहीं नहीं रुका, उनकी मौत के महज चार दिन बाद उनके इकलौते बेटे रुद्राक्ष की भी जान चली गई जिससे पूरा परिवार बिखर गया। रुद्राक्ष की मौत की वजह फिलहाल स्पष्ट नहीं है लेकिन परिजन और पड़ोसियों का कहना है कि पिता की मौत का सदमा ही इतना गहरा था कि बेटा उसे सहन नहीं कर सका। यह घटना संविदा कर्मचारियों की उस हकीकत को उजागर करती है जो हर दिन तनख्वाह और नौकरी की अनिश्चितता के बीच जीते हैं। राजेश शर्मा जैसे कई कर्मचारी हैं जो नियमितीकरण की आस में वर्षों तक सेवाएं देते हैं लेकिन उन्हें न स्थायी नौकरी मिलती है, न समय पर वेतन। ऐसी व्यवस्था में एक इंसान की जान चली जाना व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। चंडीगढ़ नगर निगम प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है और न ही पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद को लेकर कोई पहल की गई है। मोहल्ले और समाज के लोग बेहद दुखी हैं और सरकार से अपील कर रहे हैं कि संविदा कर्मियों की स्थिति को सुधारा जाए और राजेश शर्मा के परिवार को न्याय और मुआवजा मिले। यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता का कड़वा सच भी है जिसे अब बदलना ज़रूरी है।

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