सावन की शिवरात्रि 2025: जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त
23 जुलाई को है श्रावण मास की शिवरात्रि, शिव आराधना से मिलती हैं विशेष कृपा और मनोकामनाओं की पूर्ति।
नई दिल्ली सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस वर्ष यह पावन पर्व 23 जुलाई 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि श्रावण मास की शिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ की आराधना करने से जीवन की सारी समस्याएं दूर होती हैं और भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन को लेकर पूरे देश में उत्साह और धार्मिक आस्था का वातावरण बना रहता है।
इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं और दिनभर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। मंदिरों में लंबी कतारें लगती हैं और ‘ॐ नमः शिवाय’ की गूंज पूरे वातावरण को शिवमय बना देती है। विशेष रूप से कांवड़ यात्रा के दौरान शिवरात्रि का यह पर्व और भी दिव्यता ले आता है।
पंचांग के अनुसार, शिवरात्रि व्रत की तिथि 23 जुलाई को शाम 08:05 बजे से शुरू होकर 24 जुलाई को शाम 06:28 बजे तक रहेगी। हालांकि, व्रत और रात्रि पूजा 23 जुलाई को ही करना उत्तम माना गया है। पूजा के लिए सबसे उत्तम समय निशीथ काल (रात्रि का मध्यकाल) होता है।
पूजन में सबसे पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और किसी मंदिर या घर में शिवलिंग की स्थापना करें। इसके बाद शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही और घी से अभिषेक करें। बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, चंदन और भस्म अर्पित करें। दीपक और धूप जलाकर भगवान शिव का ध्यान करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
शास्त्रों के अनुसार, सावन मास स्वयं भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। शिवपुराण में वर्णित है कि इसी मास में भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था। इसलिए यह मास प्रेम, त्याग और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। सावन की शिवरात्रि पर व्रत रखने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है, कुंवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
इस बार की शिवरात्रि पर खास ध्यान रखने योग्य है कि भक्त रात्रि जागरण करें और चार प्रहर की पूजा अवश्य करें। ध्यान, मंत्र जाप और शिव कथा श्रवण से आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। श्रद्धा और नियम से किया गया शिव पूजन न सिर्फ सांसारिक दुखों से मुक्ति देता है बल्कि आत्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करता है।
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