सरकार का यू-टर्न: विकास बराला की छुट्टी
छेड़छाड़ मामले में आरोपी विकास बराला की AAG पद से नियुक्ति रद्द, विरोध के बाद सरकार ने बदला फैसला…..
हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में घोषित 95 से अधिक विधि अधिकारियों की नियुक्ति सूची में शामिल भाजपा नेता के बेटे विकास बराला की एएजी (एडिशनल एडवोकेट जनरल) पद पर नियुक्ति पर अब सरकार ने यूटर्न ले लिया है। छेड़छाड़ मामले में आरोपी विकास की नियुक्ति ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भारी नाराजगी पैदा कर दी थी। विरोध के स्वर तेज होते ही सरकार को पीछे हटना पड़ा और उसकी नियुक्ति को रद्द कर दिया गया है।
विकास बराला वही युवक हैं, जिन पर 2017 में चंडीगढ़ में एक पूर्व आईएएस अधिकारी की बेटी वर्णिका कुंडू के साथ छेड़छाड़ का गंभीर आरोप लगा था। यह मामला उस समय पूरे देश की सुर्खियों में आया था। विकास बराला को पुलिस ने गिरफ़्तार भी किया था और मामला अदालत तक पहुंचा। हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई और केस की सुनवाई जारी रही। ऐसे में उसकी नियुक्ति पर स्वाभाविक रूप से सवाल उठे।
18 जुलाई 2025 को हरियाणा सरकार ने 95 से ज्यादा नए विधि अधिकारियों की सूची जारी की थी। विकास बराला का नाम एडिशनल एडवोकेट जनरल के रूप में सूची में शामिल था। नियुक्ति की खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। महिला संगठनों, विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले पर गहरी आपत्ति जताई। उनका कहना था कि जिस व्यक्ति पर महिलाओं के खिलाफ अपराध का आरोप है, उसे कानूनी पद देना पूरी व्यवस्था का अपमान है।
इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने भी विधानसभा और मीडिया के माध्यम से सरकार को घेरना शुरू किया। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों ने इस नियुक्ति को महिला सुरक्षा और न्याय व्यवस्था के खिलाफ बताया। एक के बाद एक प्रतिक्रियाओं के बाद सरकार को आखिरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ा।
राज्य सरकार ने सोमवार शाम एक अधिसूचना जारी कर यह स्पष्ट कर दिया कि विकास बराला की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जा रहा है। सरकार के इस कदम को राजनीतिक दबाव और जनभावनाओं के प्रति संवेदनशीलता के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि, अब सवाल उठता है कि सरकार ने ऐसे व्यक्ति का नाम सूची में शामिल ही क्यों किया? क्या नामों की समीक्षा सही ढंग से नहीं की गई थी? इस पूरे घटनाक्रम ने सरकारी प्रक्रिया की पारदर्शिता और महिला सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जहां एक तरफ सरकार ने विरोध के बाद उचित कदम उठाया है, वहीं दूसरी ओर यह घटना बताती है कि केवल विरोध और सार्वजनिक दबाव के बाद ही कुछ सुधार होते हैं। आने वाले समय में यह देखना होगा कि सरकार ऐसी नियुक्तियों को लेकर पहले से सतर्क रवैया अपनाती है या नहीं।