दिल्ली : देश-दुनिया आज (21 जून) को योग दिवस के रूप में मना रही है। सब तरफ योग के लाभ को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। पर साउथ दिल्ली के पाश एऱिया फ्रेंड्स कॉलोनी की ए-50 नंबर की कोठी में सन्नाटा पसरा हुआ है। आप पूछ सकते हैं कि योग दिवस का एक कोठी से क्या लेना-देना। लेकिन, इसका योग से बिल्कुल लेना-देना रहा है। यहां एक जमाने में शक्तिशाली नेताओं, अभिनेताओं, बड़े उद्योगपतियों का दिन-भर आना जाना लगा रहता था। ये सब योग गुरु धीरेन्द्र ब्रहमचारी से चंदेक मिनट मिलकर ही अपने को धन्य महसूस किया करते थे। यहां ही धीरेन्द्र ब्रहमचारी रहते थे। उनका परिवार भी यहां रहता था। तब उनके पूरे जलवे थे। उनके भव्य व्यक्तित्व को देखकर उनसे कोई भी प्रभावित हो जाता था। अपनी ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करने वाले लम्बे धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने अपने शरीर को देखने लायक बना रखा था।
लक्जरी भरपूर ब्रहमचारी का जीवन
दरअसल धीरेन्द्र बह्रमचारी के जीवन में कई तरह के विरोधाभास दिखाई देते थे। वे कहने को तो थे ब्रहमचारी पर उनका लाइफ स्टाइल लक्जरी से भरपूर था। वे चमचमाती कारों में घूमते और पॉश एरिया में रहते। उनकी देश की शिखर शख्सियतों से मित्रता लोगों को भयभीत भी करती थी। वे बाबा रामदेव के विपरीत आमतौर पर गंभीर रहते थे। कहने वाले तो कहते हैं कि वे बड़े बिजनेस डील में मध्यस्थता भी करवाते थे। उनकी लंबी दाढ़ी, कायदे से रखे सिऱ के बाल,खिलाड़ियों जैसा गठीला शरीर उन्हें अलग बना देता था। उनका बढ़ती उम्र का असर उनके चेहरे या शरीर पर दिखाई नहीं देता था। वे प्राय: अपनी उम्र नहीं बताते थे। पर वे जब 60 साल के थे, तब वे 45 के ही लगते थे। उनकी आंखों की चमक कमाल की थी।
धीरेन्द्र ब्रहमचारी की पहुंच प्रधानमंत्री आवास 1 सफदरजंग रोड तक थी। वे प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के योग गुरु थे। वे लगभग रोज ही इंदिरा गांधी को योग करवाने जाते थे। दिल्ली के पुराने पत्रकार और पुलिस अफसरों को याद होगा कि वे रोज सुबह 6 बजे तक श्रीमती इंदिरा गांधी के आवास के बाहर कार से उतरते थे। उनके एक कंधे पर एक छोटा सा सफदे बैग लटका होता था। वे बिना किसी जांच-पड़ताल के अंदर चल जाते थे। उनके अपने निजी विमान भी थे। उनके शिष्य बाल मुकुंद भी 1 सफदरजंग रोड जाते थे। धीरेन्द्र ब्रहमचारी 1978 से 1983 के दरम्यान दूरदर्शन पर योग की पाठशाला भी चलाते थे। उसमें वे अपने शिष्य बाल मुकुंद से विभिन्न योग क्रियाएं करने के लिए कहा करते थे। आजकल महिपालपुर में एकाकी जीवन गुजार रहे बाल मुकुंद ही धीरेन्द्र ब्रहमचारी के साथ आर.के धवन, बूटा सिंह, य़शपाल कपूर वगैरह की भी क्लास लिया करते थे। उन्होंने अपने तमाम शिष्यों में बाल मुकुंद को दूरदर्शन पर योग पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम के लिए चुना।
धीरेन्द्र ब्रहमचाऱी टूट गए थे कब
इंदिरा गांधी की 30 अक्तूबर, 1984 को हत्या से धीरेन्द्र ब्रहमचाऱी टूट गए। उनकी देखरेख में ही हुई इंदिरा गांधी की अत्येष्टि। संजय गांधी की अत्येष्टि की भी व्यवस्था धीरेन्द्र ब्रहमचारी देख रहे थे। इसके साथ ही उनके सितारे गर्दिश में आने लगे। दूरदर्शन पर उनका कार्यक्रम बंद हो गया था। उस कार्यक्रम ने उन्हें अखिल भारतीय स्तर पर पहचान दिलवाई थी। अब वे घर में ही रहने लगे थे। घर से बाहर कम ही निकलते थे। हां, वे बीच-बीच में अपने जम्मू के आश्रम में रहने के लिए चले जाते थे।
कब आ गए थे दिल्ली
ये कम लोगों को ही मालूम है कि बिहार के मधुबनी से संबंध रखने वाले धीरेन्द्र ब्रहमचारी नेहरु 1958 में ही दिल्ली आ गए थे। वे योग विद्या में निपुण थे। उस दौर में योग को लेकर आज की तरह की जागरूकता भी नहीं थी। पर वे गजब के महत्वाकांक्षी शख्स थे। वे जुगाड़ करके तीन मूर्ति भवन में प्रवेश पा गए। वहां वे पंडित नेहरु की पुत्री इंदिरा गांधी को योग की बारीकियां समझाने लगे। वे बाद के दौर में इंदिरा गांधी के सलाहकार की भूमिका में आ गए थे। धीरेन्द्र ब्रहमचारी के पास इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद समय ही समय था। अब इस बेदिल दिल्ली ने उनसे दूरियां बना ली थीं। उनसे उनके गिने-चुने मित्र मिला करते थे। वे मीडिया से भी खफा रहते थे कि क्योंकि वह उनको लेकर तमाम नेगटिव खबरें छापता था। पर वे कुछ खेल पत्रकारों को अपने घर में बुलाकर कहने लगे थे कि योग को देश में खेल का दर्जा मिले तो बात बने।
पर सन 1990 में धीरेन्द्र ब्रहमचारी की एक विमान हादसे में मौत हो गई। हादसा जम्मू में हुआ था। धीरेन्द्र बह्रमचारी के बाद भी देश में योग गुरु आते रहे, पर धीरेन्द्र ब्रहमचारी का कद सबसे ऊंचा ही रहा। उनकी मृत्यु के बाद ये सवाल पूछ जाते रहे कि सिर्फ योग गुरु फ्रेंड्स कॉलोनी में कोठी बनाने और हवाई जहाज रखने की हैसियत कैसे पा गया। उनका तो कोई बिजनेस भी नहीं था। बहरहाल, धीरेन्द्र ब्रहमचारी का परिवार अब भी फ्रेंड्स कॉलोनी में रहता है। जाहिर है, अब वहां पर कारों की लाइन नहीं लगती।
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An insight into the journey of Yoga from Ashrams to high profile society of Delhi and World, written by Sr. Journalist and Author, Shri Vivek Shukla. Mr. Shukla has a knack for unearthing hidden history of Delhi and metamorphosis of the city from ancient Mahabharata era into New Delhi, the seat of power of world’s largest democracy.
His daily columns are keenly awaited by lacs of his readers thru’ a national daily and social media.
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