मंडी में बादल फटा, मची भारी तबाही
हिमाचल के मंडी में भूस्खलन से तीन की मौत, कई घर और सड़कें मलबे में दबीं……
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में मंगलवार सुबह अचानक मौसम का मिजाज ऐसा बदला कि लोगों की आंखों के सामने तबाही उतर आई। भारी बारिश के बाद बादल फटने जैसी स्थिति बनी और देखते ही देखते पूरा इलाका मलबे से पट गया। इस घटना में अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि एक व्यक्ति लापता बताया जा रहा है।
सुबह के करीब छह बजे लोग रोजमर्रा के कामों में जुट ही रहे थे कि अचानक जोरदार आवाज के साथ पहाड़ से मलबा गिरने लगा। स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले तो सबको लगा कि बारिश की वजह से पानी का बहाव तेज हो गया है, लेकिन जब मकानों के साथ सड़कें भी धंसने लगीं और गाड़ियां बहती दिखीं, तब जाकर लोगों को असली खतरे का एहसास हुआ।
मंडी से जोगिंद्रनगर को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पूरी तरह बंद कर दी गई है, क्योंकि वहां पर सड़क का बड़ा हिस्सा मलबे में दब गया है। दर्जनों वाहन या तो मलबे में समा गए हैं या तेज पानी के बहाव में बह गए हैं। प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच चुकी है और राहत एवं बचाव कार्य जारी है, लेकिन मौसम के खराब होने की वजह से दिक्कतें आ रही हैं।
एनडीआरएफ की टीमें भी मौके पर पहुंच चुकी हैं, जो फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर दिया है और लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।
घटना स्थल पर मौजूद एक चश्मदीद ने बताया, “हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ हो सकता है। मेरे घर के सामने ही एक पूरा परिवार मलबे में दब गया। मैं उन्हें बचा नहीं पाया, वो नजारा जिंदगी भर नहीं भूल सकता।”
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस प्राकृतिक आपदा पर दुख जताते हुए मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। वहीं, राज्य सरकार ने जिला प्रशासन को पूरी सतर्कता के साथ राहत कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं।
मंडी, जो अक्सर अपने सुंदर पहाड़ों और शांत वादियों के लिए जाना जाता है, अब एक बार फिर प्रकृति के क्रोध का शिकार बना है। पिछले कुछ वर्षों में पहाड़ी राज्यों में इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को गंभीरता से नहीं ले रहे? इस तबाही ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि हिमालयी क्षेत्र कितने संवेदनशील हैं और वहां रहने वाले लोगों को हमेशा सतर्क रहना होगा। हालांकि प्रशासन की कोशिशें लगातार जारी हैं, लेकिन समय ही बताएगा कि इस दर्द से लोग कब उबर पाएंगे।
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