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पंजाब-हरियाणा जल विवाद पर फिर से तनाव..

डैमों में पानी की कमी या राजनीतिक जिद? केंद्र की भूमिका क्या हो सकती है…

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पानीपत : पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद एक बार फिर उफान पर है। सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर के मुद्दे पर वर्षों से चला आ रहा तनाव अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। पंजाब ने जल आपूर्ति को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से इनकार कर दिया है। इसके पीछे पंजाब सरकार का तर्क है कि राज्य में पहले ही जलस्तर बेहद कम है और डैमों में पानी की मात्रा औसत से नीचे बनी हुई है।

हरियाणा सरकार ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है और केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। हरियाणा का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंजाब जानबूझकर जल वितरण में अड़चन डाल रहा है, जो संविधान और संघीय व्यवस्था का उल्लंघन है। हरियाणा की दलील है कि इस समय फसलों की बुवाई का मौसम है और राज्य के दक्षिणी व पश्चिमी जिलों में पानी की कमी से खेती बर्बाद होने की कगार पर है।

डैमों में पानी की उपलब्धता को लेकर दोनों राज्यों के बीच आंकड़ों का टकराव है। पंजाब का कहना है कि भाखड़ा और नंगल जैसे प्रमुख बांधों में इस समय सामान्य से 30% कम पानी है। वहीं हरियाणा की ओर से यह कहा गया है कि पंजाब जानबूझकर आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है।

केंद्र सरकार ने इस विवाद को लेकर गंभीर रुख अपनाया है और दोनों राज्यों के जल संसाधन सचिवों की बैठक बुलाई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में लम्बित SYL मामले की सुनवाई भी जल्द शुरू होने की संभावना है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद केवल पानी का नहीं बल्कि राजनीतिक दबाव, क्षेत्रीय असंतुलन और भरोसे की कमी का परिणाम है। यदि जल्द ही कोई स्थायी समाधान नहीं निकला तो आने वाले समय में यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर कानून व्यवस्था और कृषि संकट को और गहरा कर सकता है।


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