टीम इंडिया की नंबर-3 की मुश्किल बरकरार
सात देशों के नंबर-3 बल्लेबाजों का औसत भारतीय बल्लेबाजों से बेहतर, चयन में असमंजस…..
इंग्लैंड भारतीय क्रिकेट टीम के लिए नंबर-3 का स्थान लंबे समय से चिंता का विषय बना हुआ है। यह वह जगह है जहां टीम को स्थायित्व और विश्वसनीयता की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है, लेकिन बीते कुछ समय से इस स्थान पर बार-बार बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे टीम की बल्लेबाजी संतुलन पर असर पड़ा है।
जहां ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और साउथ अफ्रीका जैसे देशों ने अपने नंबर-3 बल्लेबाजों को तय कर लिया है और उन्हें लगातार मौके दिए हैं, वहीं टीम इंडिया इस मोर्चे पर अब तक प्रयोग ही करती नजर आ रही है। इन सात देशों के नंबर-3 बल्लेबाजों का औसत भारतीय नंबर-3 से बेहतर है, जो यह दर्शाता है कि भारत को अब इस स्थान पर स्थायी समाधान की तलाश करनी चाहिए।
वर्तमान समय में श्रेयस अय्यर, विराट कोहली और सूर्यकुमार यादव जैसे नाम इस क्रम के लिए सामने आते रहे हैं, लेकिन चोट, फॉर्म और चयन नीति ने इस पोजीशन को अस्थिर बना दिया है। कभी किसी टूर्नामेंट में विराट कोहली को इस स्थान पर खिलाया जाता है, तो कभी श्रेयस अय्यर या ईशान किशन को। इसके चलते खिलाड़ी भी मानसिक तौर पर तैयार नहीं हो पाते हैं कि उनकी भूमिका क्या है। भारत के नंबर-3 बल्लेबाजों का औसत बीते एक साल में 35 के करीब रहा है, जबकि पाकिस्तान और इंग्लैंड जैसे देशों का नंबर-3 औसत 45 से ऊपर है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत को जल्द से जल्द किसी एक खिलाड़ी को यह जिम्मेदारी सौंपनी होगी और लगातार अवसर देने होंगे।
नंबर-3 की भूमिका इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह बल्लेबाज अक्सर पारी के शुरुआती झटकों के बाद आता है और टीम को संभालने के साथ-साथ रन गति भी बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाता है। यदि यह स्थान अस्थिर रहेगा, तो पूरी बल्लेबाजी क्रम पर उसका प्रभाव दिखेगा। अब जब आगामी बड़े टूर्नामेंट जैसे वर्ल्ड कप या चैंपियंस ट्रॉफी की तैयारी शुरू हो रही है, भारतीय टीम मैनेजमेंट को चाहिए कि नंबर-3 के लिए एक भरोसेमंद विकल्प तय करे और उसे लंबे समय तक खेलने का अवसर दे। इसी में टीम की भलाई और बल्लेबाजी लाइनअप का स्थायित्व छिपा है।