जोधपुर में भारत-सिंगापुर सैन्य अभ्यास शुरू
‘बोल्ड कुरुक्षेत्र-2025’ में युद्ध कौशल का कंप्यूटर आधारित परीक्षण
जोधपुर में भारत और सिंगापुर की सेनाओं के बीच चल रहे संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘बोल्ड कुरुक्षेत्र-2025’ ने एक और अहम चरण में प्रवेश कर लिया है। इस अभ्यास के अंतर्गत अब टेबल-टॉप और कंप्यूटर-आधारित वॉर-गेम एक्सरसाइज की शुरुआत की गई है। यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल, युद्ध कौशल, रणनीतिक योजना और तकनीकी समझ को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।
जोधपुर स्थित सैन्य क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के साथ बैठकर वर्चुअल युद्ध की रणनीतियां बना रहे हैं और कंप्यूटर सिमुलेशन के ज़रिए उन पर अमल कर रहे हैं। इस पूरे कार्यक्रम में आधुनिक तकनीक और रियल-टाइम कम्युनिकेशन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है, जिससे भविष्य में किसी भी जटिल परिस्थिति का सामना करने के लिए संयुक्त रणनीतियां विकसित की जा सकें।
‘बोल्ड कुरुक्षेत्र-2025’ केवल एक सैन्य अभ्यास नहीं, बल्कि यह दोनों देशों के आपसी संबंधों को भी एक नया आयाम दे रहा है। इस अभ्यास से यह स्पष्ट होता है कि भारत और सिंगापुर वैश्विक सुरक्षा, शांति और सैन्य समन्वय को लेकर कितने गंभीर हैं। प्रशिक्षण के इस चरण में सैनिकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर वॉरफेयर और डिफेंस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में भी सीखने और सहयोग का मौका मिल रहा है।
यह अभ्यास भारत और सिंगापुर के बीच सैन्य सहयोग के क्षेत्र में लंबे समय से चल रही साझेदारी का हिस्सा है। इससे पहले भी दोनों देशों ने कई बार इस तरह के युद्धाभ्यास किए हैं, लेकिन इस बार का अभ्यास तकनीकी दृष्टिकोण से कहीं अधिक उन्नत और आधुनिक है। जोधपुर के लोगों के लिए भी यह अभ्यास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि उन्हें अपने शहर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का सैन्य प्रशिक्षण देखने का अवसर मिल रहा है।
भारतीय सेना ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए विशेष तैयारियाँ की हैं। दोनों देशों के अधिकारी और सैनिक न केवल रणनीति पर ध्यान दे रहे हैं, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से एक-दूसरे को बेहतर समझने का प्रयास भी कर रहे हैं। इस अभ्यास से यह संदेश भी जाता है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में सहयोग, साझेदारी और तकनीक की समझ कितनी अहम हो गई है। बोल्ड कुरुक्षेत्र-2025’ का यह चरण दर्शाता है कि भारत और सिंगापुर भविष्य की किसी भी चुनौती के लिए तैयार हैं, और वे अपने रिश्तों को केवल कूटनीति तक सीमित नहीं रखते, बल्कि जमीन पर भी उसे मजबूत बनाते हैं।