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चंडीगढ़ वाइन कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन ने टेंडरिंग प्रक्रिया की ईडी और सीबीआई जांच की मांग की

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चंडीगढ़:- चंडीगढ़ वाइन कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन (सीडब्ल्यूसीए) ने चंडीगढ़ की आबकारी नीति वर्ष 2025-26 की टेंडरिंग प्रक्रिया की ईडी और सीबीआई द्वारा जांच की मांग की है। जबकि कुछ शराब कारोबारी शराब के कारोबार पर एकाधिकार/कार्टेलाइजेशन करना चाहते हैं। हम मांग करते हैं कि इस पैसे के स्रोत की जांच की जाए कि चंडीगढ़ में शराब के कारोबार को कार्टेलाइज करने के लिए यह पैसा कहां से आया। आबकारी नीति 2025-26 में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है, कि अधिकतम 10 ठेके ही व्यक्तियों के फर्म कंपनी एसोसिएशन को आवंटित की जाएंगी, लेकिन यहां एक ही व्यक्ति के परिवार को 33 ठेके दे दिए गए है। जिसमें एक को व्यक्ति 8 ठेके, उनकी पत्नी को 9 ठेके और बेटे को 7 ठेके दिए गए। दूसरी कंपनी जिसमें व्यक्ति निदेशक था, उसे 9 ठेके दिए गए।

दर्शन सिंह कलेर ने बताया कि कुल 97 दुकानें वेंड थे, उनमें से 87 वेंड केवल 2 या 3 व्यक्तियों को आवंटित की गईं, जो अलग-अलग फर्मों के तहत या उनके रिश्तेदारों, सहयोगियों और उनके कर्मचारियों के माध्यम से काम कर रहे थे।

इसके अलावा, पूरी टेंडरिंग प्रक्रिया के आवेदकों द्वारा जमा की गई बयाना राशि को तुरंत आवेदकों को वापस कर दिया गया, जबकि इस मामले में सफल आवंटियों द्वारा कोई सुरक्षा राशि जमा नहीं की गई, जबकि आम तौर पर यह प्रथा थी कि सफल आवंटियों द्वारा सुरक्षा राशि जमा किए जाने तक आवेदकों को बयाना राशि वापस नहीं की जाती है, जिससे यह सवाल उठता है कि इन व्यक्तियों को शराब की दुकानें आवंटित करने की इतनी जल्दी क्यों थी। आवेदकों की  मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। तथा अधिकारियों ने वित्तीय बोली खोलने की जल्दबाजी में अन्य आवेदकों के ज्ञापन को नजरअंदाज कर दिया।

इस गुटबाजी के कारण शहर में शराब के रेट दोगुने हो जाएंगे, क्योंकि शहर में एक व्यक्ति का एकाधिकार होने के कारण शराब की अंतर्राज्यीय तस्करी को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि इस निविदा प्रक्रिया के प्रमुख सफल आवंटियों के खिलाफ अंतर्राज्यीय तस्करी के लिए विभिन्न एफआईआर दर्ज हैं। प्रशासक से अनुरोध है कि शराब की दुकानों के इस गुटबाजी को समाप्त किया जाए।                                       (रोशन लाल शर्मा की रिपोर्ट)


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