चंडीगढ़ में 375 लोगों को सिविल डिफेंस प्रशिक्षण - News On Radar India
News around you

चंडीगढ़ में 375 लोगों को सिविल डिफेंस प्रशिक्षण

आपदा प्रबंधन तकनीक सिखाईं, चंडीमंदिर में हुआ मॉक ड्रिल प्रदर्शन

57

चंडीगढ़ प्रशासन ने संभावित आपदाओं से निपटने की तैयारी में एक अहम कदम उठाया है। हाल ही में आयोजित सिविल डिफेंस ट्रेनिंग कार्यक्रम में कुल 375 नागरिकों को सुनियोजित आपदा प्रबंधन तकनीकों की समझ दी गई। यह पहल प्रशासन की आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता को और मजबूत बनाएगी।

इस 3 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन चंडीगढ़ सिविल डिफेंस विभाग द्वारा किया गया था। इसमें शामिल हुए नागरिकों में शिक्षकों, डॉक्टरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और रेहड़ी-पटी वालों के साथ अन्य स्थानीय निवासी भी थे। ट्रेनिंग का उद्देश्य लोगों को तैयार करना था ताकि वे प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप, आग और औद्योगिक दुर्घटनाओं के समय राहत उपाय प्रभावी ढंग से लागू कर सकें।

प्रशिक्षण में आपातकालीन समस्याओं की रोकथाम, प्राथमिक चिकित्सा, बचाव तकनीकें, अग्निशमन, मोटरबोट चलाने, इमरजेंसी सिग्नलिंग और पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों में ले जाने जैसे कई अहम प्रशिक्षण सत्र शामिल थे। विशेष तौर पर प्राथमिक चिकित्सा पर जोर दिया गया—कैसे सांस फूलने पर सहायता करें, चोटिल लोगों को सुरक्षित तरीके से स्थानांतरित करें, CPR (हार्ट मसाज) की आधारभूत तकनीक व अन्य जरूरी स्किल्स सिखाईं गईं।

इस अवसर पर चंडीगढ़ सिविल डिफेंस अधिकारी और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम उन लोगों को सशक्त बनाता है, जो खुद से पहले किसी संकट में सामने आ सकते हैं और शुरुआती राहत प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

प्रशिक्षण का एक अहम हिस्सा था मॉक ड्रिल—जो चंडीगढ़ के प्रसिद्ध चंडीमंदिर के नजदीक आयोजित की गई। मॉक ड्रिल में एक काल्पनिक आग-प्रकोप का नाटक किया गया, जिसमें प्रशिक्षित नागरिकों ने अग्निशमन उपकरण, प्राथमिक चिकित्सा किट और पुलिस-फायर ब्रिगेड के साथ सहयोग करके सटीक बचाव प्रक्रिया को पूरा किया। यह ड्रिल न केवल दर्शकों की आशंका को कम कर सकी, बल्कि अभ्यास से मिली आत्मविश्वास ने आपात प्रसाद शिविरों की दक्षता को भी परखा।

स्थानीय निवासी सीमा शर्मा ने बताया, “जब मैंने पहली बार ट्रेनिंग में हिस्सा लिया, तो लगा कि मैं कोई प्रशिक्षित व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन ड्रिल होने के बाद भरोसा हुआ कि मैं अपने घर वालों की मदद कर सकती हूं।” इसी तरह, युवक राजीव ने कहा कि ऐसे अभ्यास से हम आपदा के समय घबराए बिना जिम्मेदारी समझकर सही तरीके से कदम उठा पाएंगे।

सिविल डिफेंस विभाग का कहना है कि आइस प्रशिक्षण नियमित अंतराल पर जारी रहेगा। भविष्य में सामुदायिक स्तर पर नोडल टीमों का गठन कर उनका रोल स्पष्ट किया जाएगा। इससे प्रशासन को भी आपात स्थिति में काम में तत्काल समर्थन मिलेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि आपदा से निपटने में सबसे बड़ी कमजोरियाँ तकनीकी ज्ञान की कमी और समाज में चेतना न होना है। ऐसे कार्यक्रम इन कमियों को दूर करने में मदद करते हैं और नागरिकों को आपदा के समय नायक बनने के लिए तैयार करते हैं।

Comments are closed.

Join WhatsApp Group