चंडीगढ़ में उमस का कहर, कब बरसेगा बादल?
गर्मी और पसीने से परेशान शहरवासी, मानसून सीजन में अब तक सिर्फ 11.1% बारिश…..
चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल” के नाम से मशहूर चंडीगढ़ इन दिनों भीषण उमस और गर्मी की चपेट में है। मानसून के इंतजार में बैठे लोगों के चेहरे अब चिड़चिड़ाहट और थकावट से भरे हुए नजर आते हैं। पिछले दो दिनों से सूरज मानो सिर पर चढ़कर आग उगल रहा है। तापमान भले ही मौसम विभाग के आंकड़ों में सामान्य के आसपास हो, लेकिन उमस के कारण हालत बेहद खराब है। सुबह से ही चिलचिलाती धूप और ठंडी हवा की गैरमौजूदगी ने लोगों को दिनभर पसीने से तर-बतर कर रखा है। न दफ्तर जाने में राहत है, न ही बाजार या घर के अंदर चैन। कूलर और एसी भी इस उमस के आगे बेबस नजर आ रहे हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, इस बार मानसून की चाल सुस्त रही है। जुलाई खत्म होने को है और अब तक शहर में सिर्फ 11.1% बारिश हुई है, जो सामान्य से काफी कम है। यह आंकड़ा उन लोगों के लिए चिंता का विषय बन चुका है जो मानसून पर निर्भर खेती करते हैं या जिनका जनजीवन ठंडी हवाओं और बारिश से राहत की उम्मीद लगाए बैठा है।
बारिश न होने का असर न सिर्फ मौसम पर, बल्कि लोगों के मूड पर भी साफ देखा जा सकता है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई पूछ रहा है “बारिश कब होगी?” कुछ लोग छत पर टकटकी लगाए बादलों को देखते हैं, तो कुछ मोबाइल ऐप्स पर मौसम अपडेट्स चेक कर रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि शाम को टहलने निकले लोग कुछ कदम चलते ही पसीने से लथपथ हो जाते हैं। स्कूल से लौटते बच्चों के चेहरे पर गर्मी की झुंझलाहट साफ देखी जा सकती है। सब्जी मंडी, बाजार और ट्रैफिक सिग्नल पर काम करने वाले लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ दिनों में बारिश की संभावना है, लेकिन उसके पक्के संकेत फिलहाल नहीं हैं। नमी से भरे बादल जरूर बन रहे हैं, लेकिन वे तेज हवाओं के चलते जल्दी बिखर भी जा रहे हैं। शहर के निवासी अब सिर्फ राहत की उम्मीद में हैं। कुछ लोग मंदिरों में जाकर बारिश के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, तो कुछ सोशल मीडिया पर मेम्स और पोस्ट के जरिए अपनी बेचैनी जाहिर कर रहे हैं। मानसून का देरी से आना न सिर्फ मौसम का खेल है, बल्कि यह पर्यावरणीय असंतुलन की ओर भी इशारा करता है। शहरवासियों को इस बीच खुद को हाइड्रेट रखने, हल्के कपड़े पहनने और दिन के सबसे गर्म समय में बाहर निकलने से बचने की सलाह दी गई है।
Comments are closed.