चंडीगढ़ के पूर्व डीजीपी को कोर्ट से राहत क्यों नहीं मिली..
गृह मंत्रालय के फैसले को दी थी चुनौती, अब भेजे गए नक्सल क्षेत्र में…
चंडीगढ़ : के पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह यादव को एक बड़ा झटका लगा है। उन्होंने गृह मंत्रालय के ट्रांसफर आदेश को अदालत में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिल पाई। मार्च 2024 में सुरेंद्र सिंह यादव को चंडीगढ़ का डीजीपी नियुक्त किया गया था। यह नियुक्ति सीमित समय के लिए थी और कुछ ही दिनों बाद, एक अप्रैल को उन्हें बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया।
इस अचानक हुए तबादले के खिलाफ सुरेंद्र सिंह यादव ने कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने तर्क दिया था कि उनका ट्रांसफर बिना उचित प्रक्रिया के किया गया है और यह फैसला मनमाना है। उन्होंने अदालत से गुहार लगाई कि इस आदेश को रद्द किया जाए और उन्हें पूर्व की स्थिति में बहाल किया जाए। हालांकि, अदालत ने गृह मंत्रालय के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया और ट्रांसफर को वैध ठहराया।
अब नई जानकारी के अनुसार सुरेंद्र सिंह यादव को नक्सल प्रभावित क्षेत्र में ड्यूटी पर भेजा गया है। यह कदम उनके लिए न सिर्फ पेशेवर बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। लंबे समय तक प्रशासनिक सेवा में रहने के बाद, उन्हें अब ऐसे क्षेत्र में काम करना होगा जहां सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद संवेदनशील रहती है।
सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने यह निर्णय अपनी नीतियों और ज़रूरतों के अनुरूप लिया है। वहीं, सुरेंद्र सिंह यादव के करीबियों का कहना है कि यह ट्रांसफर न्यायिक प्रक्रिया में जाने का ‘रिएक्शन’ भी हो सकता है। हालांकि, सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है।
इस घटनाक्रम ने प्रशासनिक हलकों में चर्चा को जन्म दे दिया है और यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या न्यायिक चुनौती देने पर अधिकारियों को इस प्रकार के परिणाम झेलने पड़ते हैं। सुरेंद्र सिंह यादव का यह मामला आने वाले समय में अन्य अधिकारियों के लिए उदाहरण बन सकता है कि वे अपने अधिकारों की रक्षा करते हुए किन जोखिमों का सामना कर सकते हैं।
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