क्या मां का दूध भी सुरक्षित नहीं रहा..
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क्या मां का दूध भी सुरक्षित नहीं रहा..

PGI चंडीगढ़ की चौंकाने वाली रिपोर्ट कीटनाशकों की वजह से माताओं के दूध में भी जहर की मौजूदगी..

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चंडीगढ़ : स्थित प्रतिष्ठित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) की ताजा रिपोर्ट ने सभी को चौंका कर रख दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, अब मां का दूध भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह गया है। इसमें कीटनाशकों के अंश पाए गए हैं, जो नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए सैंपल्स में यह बात सामने आई है कि माताओं के दूध में डीडीटी, क्लोरोपायरीफॉस और एंडोसल्फान जैसे खतरनाक कीटनाशकों के अंश मौजूद हैं। ये रसायन आमतौर पर कृषि में फसलों पर छिड़काव के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। खाने-पीने की चीजों और हवा के ज़रिए ये ज़हरीले तत्व मानव शरीर में पहुंच जाते हैं, और गर्भवती महिलाओं व स्तनपान कराने वाली माताओं के शरीर में जमा हो जाते हैं।

PGI के विशेषज्ञों का कहना है कि ये कीटनाशक हार्मोनल बदलाव, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं और बच्चों में विकास संबंधी बाधाओं का कारण बन सकते हैं। खासतौर पर नवजात शिशुओं की प्रतिरोधक क्षमता और मस्तिष्क विकास पर इसका गहरा असर होता है।

चौंकाने वाली बात यह है कि यह स्थिति केवल ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरी महिलाएं भी इससे अछूती नहीं हैं। हवा, पानी और भोजन के ज़रिए यह जहर हर व्यक्ति के शरीर में पहुंच रहा है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यह एक पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी बनती जा रही है।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को जल्द से जल्द सख्त कदम उठाने होंगे—जैसे खतरनाक कीटनाशकों पर प्रतिबंध, जैविक खेती को बढ़ावा, और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम।

मातृत्व और नवजात जीवन की सुरक्षा अब केवल एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सरकारी दायित्व बन चुका है।

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