कौन बनेगा नया उपराष्ट्रपति? BJP की तैयारी तेज
धनखड़ के इस्तीफे के बाद नामों की अटकलें तेज, रामनाथ ठाकुर का नाम चर्चा में सबसे आगे
नई दिल्ली देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद यानी उपराष्ट्रपति की कुर्सी एक बार फिर सुर्खियों में है। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया है और इसके साथ ही राजनीतिक गलियारों में नए नामों की चर्चा तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी अब इस महत्वपूर्ण पद के लिए नए चेहरे की तलाश में जुट गई है और इस बार पार्टी अपने किसी मजबूत और भरोसेमंद नेता को उम्मीदवार बनाने की योजना बना रही है।
इस पद के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर के नाम की हो रही है। रामनाथ ठाकुर न केवल सामाजिक समीकरणों के लिहाज से पार्टी के लिए उपयुक्त माने जा रहे हैं, बल्कि उनका राजनीतिक अनुभव और संतुलित छवि भी उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है। हालांकि, पार्टी की ओर से अभी तक आधिकारिक रूप से किसी नाम की घोषणा नहीं की गई है।
बीजेपी की रणनीति इस बार और भी खास मानी जा रही है क्योंकि लोकसभा चुनावों में मिली बड़ी जीत के बाद अब पार्टी अपने संगठनात्मक और संवैधानिक ढांचे को और मज़बूत करना चाहती है। उपराष्ट्रपति पद केवल एक औपचारिक दायित्व नहीं है, बल्कि राज्यसभा के सभापति के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ऐसे में इस पद पर एक अनुभवी और मर्यादित चेहरा होना जरूरी माना जा रहा है।
रामनाथ ठाकुर के अलावा कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं के नाम भी चल रहे हैं, लेकिन अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व इस बार जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को भी ध्यान में रख रही है। रामनाथ ठाकुर बिहार से आते हैं और अति पिछड़ा वर्ग से हैं, जो कि बीजेपी की सामाजिक इंजीनियरिंग के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
वहीं विपक्ष की ओर से भी हलचल शुरू हो चुकी है। हालांकि संख्या बल को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि एनडीए का उम्मीदवार ही जीत की दौड़ में रहेगा, फिर भी विपक्ष एक संयुक्त उम्मीदवार उतारकर राजनीतिक संदेश देने की कोशिश कर सकता है। देश के नागरिकों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या भाजपा एक बार फिर अपने भीतर से किसी सादगीपूर्ण और अनुभव से भरपूर नेता को आगे लाएगी या किसी चौंकाने वाले नाम से सभी को हैरान कर देगी।
यह तय है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव केवल राजनीतिक प्रक्रिया नहीं बल्कि उस संवैधानिक गरिमा का हिस्सा है, जो देश की संसदीय परंपराओं को मजबूती देती है। आने वाले दिनों में जैसे-जैसे नामों की सूची और औपचारिक घोषणाएं सामने आएंगी, यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन बनेगा भारत का अगला उपराष्ट्रपति।