बारिश से कोटा-सवाई माधोपुर का संपर्क टूटा, जनजीवन प्रभावित
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कोटा-सवाई माधोपुर का संपर्क टूटा बारिश में

बाढ़ से बिगड़े हालात, कार पर पेड़ गिरा, घरों-दुकानों में भरा पानी

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कोटा  राजस्थान में मानसून ने कहर बरपा दिया है। कोटा और सवाई माधोपुर जिलों का मध्य प्रदेश से संपर्क पूरी तरह से कट गया है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण कई नदियाँ उफान पर हैं और ग्रामीण इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। सड़कों पर पानी का ऐसा सैलाब आया कि पेड़ उखड़कर गाड़ियों पर गिरने लगे। एक घटना में कार पर पेड़ गिरने से उसमें बैठे दो लोग बाल-बाल बचे, लेकिन उनके चेहरे पर अब भी डर साफ नजर आता है।

कोटा शहर में कई इलाके ऐसे हैं जहां घरों और दुकानों में 5 से 6 फीट तक पानी भर चुका है। जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। लोग घरों की छतों पर चढ़कर राहत की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन बचाव दल भी पानी के बहाव के कारण जगह-जगह फंस गया है। कई इलाके ऐसे हैं जहां नाव के सहारे खाना और पानी पहुंचाया जा रहा है। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस सब बंद कर दिए गए हैं। लोग मोबाइल चार्ज करने के लिए भी जद्दोजहद कर रहे हैं क्योंकि बिजली पूरी तरह गुल है।

सबसे बड़ी परेशानी उन परिवारों की है जिनके छोटे बच्चे, बुजुर्ग या बीमार सदस्य हैं। 72 साल की कमला देवी, जिनका घर कोटा के बंधा इलाके में है, कहती हैं, “पिछली रात नींद नहीं आई, छत से टपकते पानी और हर तरफ बहते पानी में भगवान का ही सहारा है।” उनके पास खाने का सामान भी बस एक-दो दिन का ही बचा है।

सवाई माधोपुर में भी हालात कम चिंताजनक नहीं हैं। चंबल और बनास नदी में पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है। ग्रामीणों को सतर्क किया गया है और प्रशासन ने राहत शिविर तैयार कर लिए हैं, लेकिन पहुंचने का रास्ता ही नहीं बचा। राहत और बचाव कार्य में SDRF और स्थानीय पुलिस जुटी हुई है। कई जगहों पर हेलिकॉप्टर से मदद पहुंचाने की भी योजना बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय से निगरानी की जा रही है और NDRF की टीमें भी रवाना हो चुकी हैं।

यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानवता की एक बड़ी परीक्षा बन चुकी है। लोगों की मदद करना अब हर किसी का फर्ज बन गया है। सोशल मीडिया पर भी कई संगठनों ने राहत के लिए अपील की है। जहां एक ओर प्रकृति का कहर साफ नजर आता है, वहीं दूसरी ओर मानवीय जज्बा भी हर विपत्ति को मात देने के लिए तैयार है। ये वक्त एक-दूसरे का हाथ थामने का है, ताकि राजस्थान एक बार फिर मजबूती से खड़ा हो सके।

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