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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 का अनावरण किया

हर तहसील में 5-5 मॉडल सहकारी गाँव विकसित करना राष्ट्रीय सहकारिता नीति का लक्ष्य; जीडीपी में योगदान को तीन गुना बढ़ाना लक्ष्य

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नई दिल्ली:  केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री  अमित शाह ने आज  राष्ट्रीय सहकारिता नीति – 2025 का अनावरण किया। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्य मंत्री  कृष्ण पाल गुर्जर,  मुरलीधर मोहोल, सहकारिता सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री  सुरेश प्रभु सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

राष्ट्रीय सहकारिता नीति – 2025 के अनावरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय सहकारिता मंत्री  अमित शाह ने कहा कि  सुरेश प्रभु के नेतृत्व में 40 सदस्यों वाली समिति ने अनेक पक्षों (Stakeholders) से संवाद करके एक परिपूर्ण और दूरदर्शी सहकारिता नीति देश के सहकारिता क्षेत्र को भेंट की है।  सहकारिता के अच्छे भविष्य के लिए 40 सदस्यों की समिति बनाई गई, जिसने क्षेत्रीय कार्यशालाएं की और कोऑपरेटिव क्षेत्र के नेताओं, विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, मंत्रालयों सहित सभी पक्षों से विशेष चर्चा कर एक सहकारिता नीति बनाई। समिति के पास लगभग 750 सुझाव आए, 17 बैठकें हुईं और फिर आरबीआई तथा नाबार्ड के साथ परामर्श कर नीति को अंतिम रूप दिया गया।

अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2002 में पहली बार भारत सरकार सहकारिता नीति लेकर आई थी, उस वक्त भी उनकी ही पार्टी की सरकार थी और स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। आज 2025 में जब भारत सरकार ने दूसरी बार सहकारिता नीति पेश की है, तब भी हमारी सरकार है और  नरेन्द्र मोदी  प्रधानमंत्री हैं।  शाह ने कहा कि जो पार्टी, सरकार के दृष्टिकोण और भारत तथा भारत के विकास के लिए आवश्यक चीजों को समझती है, वही सहकारिता क्षेत्र को महत्व दे सकती है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री  अमित शाह ने कहा कि नई सहकारिता नीति प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  के  ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2027 तक हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेंगे। इसके साथ-साथ 140 करोड़ नागरिकों के सम-विकास की भी जिम्मेदारी भारत की ही है। उन्होंने कहा कि भारत का मूल विचार एक ऐसा मॉडल बनाने का है जिसमें सबका सामूहिकता के साथ विकास हो, सबका सम विकास हो और सभी के योगदान से देश का विकास हो।

उन्होंने  कहा कि नरेन्द्र मोदी जी ने आजादी के लगभग 75 साल बाद सहकारिता मंत्रालय बनाया। इस मंत्रालय की स्थापना के समय सहकारिता क्षेत्र एक प्रकार से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  के ‘सहकार से समृद्धि’ के संकल्प को पूरा करने के लिए स्थापित सहकारिता मंत्रालय की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि देश की छोटी से छोटी सहकारी इकाई का सदस्य गर्व और आत्मविश्वास से भरा है। उन्होंने कहा कि बीते चार साल में कोऑपरेटिव सेक्टर हर पैमाने पर कॉरपोरेट क्षेत्र की तरह समानता के आधार पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 से पहले कुछ लोगों ने सहकारिता को मृतप्राय क्षेत्र घोषित कर दिया था, लेकिन आज वही लोग कहते हैं कि सहकारिता क्षेत्र का भी फ्यूचर है।

देश तीसरे नंबर का अर्थतंत्र बने यह बहुत महत्वपूर्ण है, मगर इसके साथ ही देश के 140 करोड़ लोगों के विकास की चिंता भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ लोगों को साथ रखकर देश के अर्थतंत्र का विकास करने की क्षमता केवल और केवल सहकारिता क्षेत्र में है। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी पूंजी वाले अनेक लोगों को मिलाकर बड़ी पूंजी की व्यवस्था कर उद्यम स्थापित करने की क्षमता केवल सहकारी क्षेत्र में है। उन्होंने कहा कि इसलिए सहकारी नीति बनाते समय यह ध्यान रखा गया कि इस नीति का केन्द्र बिंदु 140 करोड़ लोग हों, गांव, कृषि, ग्रामीण महिलाएं, दलित और आदिवासी हों।

नई सहकारिता नीति का विजन है सहकारिता के माध्यम से समृद्धि लाकर 2047 तक विकसित भारत का निर्माण। उन्होंने कहा कि इस नीति का मिशन है – पेशेवर, पारदर्शी, तकनीक से युक्त, जिम्मेदार और आर्थिक रूप से स्वतंत्र व सफल छोटी-छोटी सहकारी इकाइयों को बढ़ावा देना, और प्रत्येक गांव में कम से कम एक सहकारी इकाई स्थापित करना। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र के लिए तय किए गए लक्ष्य को हासिल करने के छह स्तंभ निर्धारित किए गए है जिनमें – नींव का सशक्तिकरण, जीवंतता को प्रोत्साहन, सहकारी समितियों को भविष्य के लिए तैयार करना, समावेशिता को बढ़ावा और पहुँच का विस्तार, नए क्षेत्रों में विस्तार और सहकारी विकास के लिए युवा पीढ़ी को तैयार करना शामिल है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि वर्ष 2034 तक सहकारी क्षेत्र का देश की जीडीपी में योगदान तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। यह एक बड़ा लक्ष्य है, लेकिन इसके लिए पूरी तैयारी की गई है। 50 करोड़ नागरिक, जो वर्तमान में सहकारी क्षेत्र के सक्रिय सदस्य नहीं हैं या सदस्य ही नहीं हैं, उन्हें सहकारी क्षेत्र का सक्रिय सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य है। वर्तमान में 8 लाख 30 हजार समितियाँ हैं, और इसमें 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक प्राथमिक सहकारी इकाई होगी, जो प्राथमिक कृर्षि ऋण समितियां  (PACS), प्राथमिक डेयरी, प्राथमिक मत्स्य पालन समिति, प्राथमिक बहुउद्देश्यीय पैक्स, या अन्य प्राथमिक इकाई हो सकती है। इनके माध्यम से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता, वित्तीय स्थिरता, और संस्थागत विश्वास को बढ़ाने के लिए प्रत्येक इकाई को सशक्त करना होगा। इसके लिए एक क्लस्टर और निगरानी तंत्र (मॉनिटरिंग सिस्टम) भी विकसित किया जाएगा।

सब कामों के लिए प्रशिक्षित मैनपावर के लिए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की नींव डालने का काम भी हो चुका है। उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक हम ‘सहकार टैक्सी’ भी ले आएंगे जिसमें सीधा मुनाफा ड्राइवर के पास जाएगा। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के लिए भी हमने भारत के लक्ष्य तय कर उन्हें नीचे तक पहुंचाने का काम किया है।

अमित शाह ने कहा कि सहकारिता में सरकार के मॉडल को हम धीरे-धीरे मज़बूत बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने एक्सपोर्ट, बीज और ऑर्गेनिक उत्पादों की ब्रांडिंग औऱ मार्केटिंग के लिए तीन बहुराज्यीय सहकारी समिति बनाई हैं। उन्होंने कहा कि श्वेत क्रांति 2.0 आने वाले दिनों में ग्रामीण विकास का बहुत बड़ा स्तंभ बनेगी और इसमें महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का काम बहुत प्रमुखता से कर रहे हैं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने बहुत दूरदर्शिता के साथ सहकारिता मंत्रालय की रचना की है औऱ इसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग को आगे बढ़ाना और विकास को सर्वस्पर्शीय और सर्वसमावेशी बनाना था। यह सहकारी नीति आने वाले 25 साल तक सहकारिता क्षेत्र को प्रासंगिक बनाएगी, योगदान देने वाला और भविष्य का क्षेत्र भी बनाएगी।               (पीआईबी के इनपुट सहित)

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