सांसों से खिलवाड़: यकीन किस पर करें…जहरीली हवा पर तीन विभागों की जांच, आंकड़े सबके अलग-अलग
आगरा में प्रदूषण आंकड़ों के अंतर ने बढ़ाया असमंजस, लोग नहीं समझ पा रहे हैं कि किस पर विश्वास करें
आगरा: यकीन किस पर करें…जहरीली हवा पर तीन विभागों की जांच, आंकड़े सबके अलग-अलग
आगरा में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है, लेकिन यहां के तीन प्रमुख विभागों द्वारा प्रदूषण के आंकड़े अलग-अलग पेश किए जा रहे हैं, जिससे लोगों के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि आखिर किस पर विश्वास किया जाए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB), और स्मार्ट सिटी के सेंसरों द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में भारी अंतर देखा गया है।
ताजमहल के प्रदूषण आंकड़ों में केंद्रीय बोर्ड और यूपी बोर्ड के आंकड़ों में 2 से 3 गुना का अंतर था, जबकि स्मार्ट सिटी के सेंसरों में दर्ज एक्यूआई भी इन दोनों से अलग था। यह अंतर प्रदूषण के आंकड़ों पर सवाल खड़ा करता है, जिससे लोगों में भ्रम और असमंजस पैदा हो रहा है।
अमर उजाला द्वारा किए गए निरीक्षण में यह खुलासा हुआ कि नगर निगम द्वारा प्रदूषण जांच उपकरणों पर पानी की बौछार की जा रही थी, जिससे आंकड़ों में सुधार का प्रयास किया जा रहा था। 10 से 19 नवंबर तक के आंकड़ों में केंद्रीय बोर्ड ने 7 दिनों तक हवा को खराब पाया, जबकि यूपी बोर्ड ने सिर्फ 2 दिन खराब दिखाए। स्मार्ट सिटी सेंसर ने पूरे 10 दिन खतरनाक स्थिति की चेतावनी दी।
किस पर करें विश्वास?
आगरा में प्रदूषण आंकड़ों में इतना अंतर अन्य शहरों के मुकाबले कहीं नहीं देखा गया है। केंद्रीय बोर्ड मैनुअल फिल्टर पेपर से आंकड़ों की जांच करता है, जबकि यूपी बोर्ड ने ऑटोमेटिक स्टेशन लगाए हैं। स्मार्ट सिटी के सेंसरों के आंकड़े भी अलग होते हैं। इस स्थिति पर पर्यावरणविदों ने जांच की मांग की है कि आखिर कौन सा आंकड़ा सही है, ताकि नागरिक सही दिशा में कदम उठा सकें।
नतीजा: अगर आंकड़ों में इतने बड़े अंतर हैं, तो लोगों को किस पर विश्वास करना चाहिए? पर्यावरणविदों ने इस मामले को लेकर टीटीजेड चेयरमैन से स्थिति स्पष्ट करने की अपील की है और चेतावनी दी है कि अगर स्थिति सही नहीं की गई तो वे कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे।
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