पंजाब सरकार न्यायपालिका के साथ कर रही है भेदभाव: हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की आलोचना करते हुए न्यायिक अधिकारियों के लिए बेहतर सुविधा की मांग की....
चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य में न्यायपालिका की दयनीय स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए पंजाब सरकार की आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ यानी न्यायपालिका के साथ बेहद खराब व्यवहार कर रही है। यह टिप्पणी पंजाब एवं हरियाणा में जिला अदालतों में जगह की कमी और न्यायिक अधिकारियों के लिए आवास की समस्या को लेकर दायर दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की गई।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल खेत्रपाल की खंडपीठ ने मामले पर विचार करते हुए कहा कि न्यायपालिका के नए अधिकारियों की नियुक्ति मार्च-अप्रैल 2025 में होने वाली है, लेकिन इसके बावजूद अदालतों को कड़े आदेश पारित करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कोर्ट ने मोहाली जिले के उपमंडल डेराबस्सी की एक इमारत का उदाहरण दिया, जहां तीन न्यायिक अधिकारी एक दो मंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर काम कर रहे हैं, जबकि पहले तल पर उपमंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) का कार्यालय स्थित है।
कोर्ट ने कहा कि दोनों कार्यालयों के बीच स्थिति में बड़ा अंतर है, जहां एसडीएम कार्यालय सुव्यवस्थित और रहने लायक है, वहीं न्यायालयों की स्थिति जर्जर है और उन्हें मरम्मत की आवश्यकता है। इसके बाद, हाईकोर्ट ने डेराबस्सी के उपमंडल मजिस्ट्रेट को आदेश दिया कि वे दो हफ्तों के भीतर पहले तल का कार्यालय खाली करें और इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।
हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि वह पूरी इमारत को उपमंडल न्यायालयों के लिए आवंटित करे और 7 जनवरी 2024 से पहले ग्राउंड फ्लोर की मरम्मत पूरी करे। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 7 जनवरी 2025 को तय की है।
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