हरियाणा परिवहन कर्मचारियों का भत्ता रोक पर गुस्सा
वर्दी धुलाई भत्ता न मिलने से आंदोलन की तैयारी…..
हरियाणा में परिवहन विभाग के चालकों और परिचालकों का गुस्सा अब धीरे-धीरे आंदोलन में बदलता दिखाई दे रहा है। कारण साफ है—महीनों से उन्हें मिलने वाला वर्दी धुलाई भत्ता अचानक वेतन से काट लिया गया है। करीब 8 से 10 हजार कर्मचारी इस निर्णय से प्रभावित हुए हैं। सरकार और विभाग के उच्चाधिकारियों से कई बार वार्ता का समय मांगा गया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
हरियाणा परिवहन कर्मचारी संघ, जो भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध है, ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों की पहले से ही कई मांगे लंबित हैं। सात वर्षों से उन्हें बोनस नहीं मिला है और छुट्टियों को लेकर लगातार कटौती हो रही है। ऐसे में अब जब मासिक वर्दी धुलाई भत्ता भी रोक दिया गया, तो कर्मचारियों का धैर्य जवाब देने लगा है।
संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान प्रदेश मंत्री अमित मेहराना ने सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह निर्णय कर्मचारियों के साथ अन्याय है। उनकी दलील है कि ड्राइवर और कंडक्टर सड़क पर दिन-रात मेहनत करते हैं, यात्रियों की सुरक्षा और सेवा में लगे रहते हैं। उनकी वर्दी हर दिन धूल, धुएं और धूप में गंदी होती है। ऐसे में वर्दी की सफाई पर अतिरिक्त खर्च होता है, जिसके लिए भत्ता दिया जाता रहा है। लेकिन अब बिना किसी ठोस कारण के इस भत्ते को रोकना बेहद अनुचित है।
कर्मचारियों का कहना है कि पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे परिवारों पर इस फैसले का सीधा असर पड़ा है। कई कर्मचारियों ने बताया कि उनकी मासिक आमदनी पहले ही सीमित है, और ऐसे में यह भत्ता न मिलना उनके घरेलू बजट को बिगाड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार, कर्मचारी संगठनों ने जल्द ही परिवहन मंत्री अनिल विज से मिलने का समय मांगा है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही समाधान नहीं निकला तो कर्मचारी सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे। इससे पूरे प्रदेश में परिवहन सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
कर्मचारी संघ के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू करेंगे। इसका असर आम जनता और यात्रियों पर भी पड़ सकता है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि वे मजबूरी में ऐसा कदम उठाने को बाध्य होंगे।
हरियाणा परिवहन विभाग के हजारों कर्मचारियों की यह नाराजगी अब धीरे-धीरे एकजुटता का रूप ले रही है। कर्मचारी आपस में बैठकों का आयोजन कर रहे हैं और आंदोलन की रणनीति तय कर रहे हैं। सभी की निगाहें अब सरकार के अगले कदम पर टिकी हुई हैं।
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