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सैयद सालार मसूद गाजी कौन था विवाद क्यों..

संभल में सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाले मेले पर रोक, सियासी घमासान तेज…

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उत्तर प्रदेश : के संभल जिले में हर साल आयोजित होने वाले नेजा मेले पर इस बार प्रशासन ने रोक लगा दी है, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित किया जाता था, जिसे कुछ लोग सूफी संत मानते हैं, जबकि अन्य इसे एक आक्रमणकारी बताते हैं। प्रशासन का कहना है कि सालार मसूद गाजी महमूद गजनवी का सेनापति था, जिसने भारत पर कई हमले किए और ऐतिहासिक रूप से उसकी पहचान एक आक्रांता के रूप में की जाती है। इस निर्णय के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने इसे धार्मिक आयोजन बताते हुए सरकार पर धार्मिक पक्षपात का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा नेताओं ने इसे ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर सही ठहराया है।

सैयद सालार मसूद गाजी की कब्र बहराइच जिले में स्थित है, जहाँ हर साल हजारों लोग जियारत के लिए पहुंचते हैं। संभल में आयोजित होने वाला नेजा मेला भी इसी परंपरा का हिस्सा रहा है, लेकिन इस बार प्रशासन ने इसे रोकने का फैसला किया है। संभल के एएसपी श्रीश चंद्र ने कहा कि यह मेला एक ऐसे व्यक्ति की याद में आयोजित किया जाता रहा है, जिसने भारत में लूटपाट और हत्याएँ की थीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी विदेशी आक्रांता का महिमामंडन करने की अनुमति नहीं दे सकती।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महाराजा सुहेलदेव ने सालार मसूद गाजी को हराकर भारतीय संस्कृति की रक्षा की थी और किसी भी आक्रांता को नायक के रूप में प्रस्तुत करना देशद्रोह जैसा अपराध है। वहीं, सपा विधायक इकबाल महमूद ने कहा कि जब प्रदेश में राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे, तब भी यह मेला बिना किसी रुकावट के आयोजित होता था।

इस विवाद ने राज्य की राजनीति को गर्मा दिया है। भाजपा और सपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। एक ओर सरकार इस आयोजन को रोककर इतिहास की रक्षा करने की बात कर रही है, तो दूसरी ओर मेला समर्थक इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद आगे क्या मोड़ लेता है।

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