विदेशी सामान पर शिक्षा मंत्री का बड़ा बयान
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विदेशी सामान पर राजस्थान के शिक्षा मंत्री का बड़ा बयान

राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने विदेशी उत्पादों के बहिष्कार की अपील करते हुए दिया विवादास्पद बयान, सोशल मीडिया पर मचा घमासान।

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जयपुर: राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है, इस बार वजह बने हैं राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर। उन्होंने बुधवार को एक ऐसा बयान दे दिया, जिसने सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक खलबली मचा दी है। दरअसल, शिक्षा मंत्री ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति विदेशी सामान खरीदता है, तो उसे उसकी कीमत भी खुद ही चुकानी चाहिए – सिर्फ पैसे से नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी के स्तर पर भी।

शिक्षा मंत्री का यह बयान उस वक्त आया जब वह एक स्थानीय कार्यक्रम में “वोकल फॉर लोकल” अभियान को लेकर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय युवाओं और नागरिकों को विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहने की आदत छोड़नी होगी और अपने देश में बने उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

मदन दिलावर ने कहा, “अगर आप विदेशी कंपनियों का सामान खरीदते हैं, तो आप देश के आत्मनिर्भरता अभियान के खिलाफ जा रहे हैं। देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना है तो स्वदेशी अपनाना होगा। अब समय आ गया है कि जो लोग विदेशी उत्पादों को तवज्जो देंगे, वे उसकी कीमत भी चुकाएं।”

इस बयान के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कुछ लोगों ने मंत्री के बयान को सराहा और कहा कि यह देशभक्ति की दिशा में उठाया गया साहसी कदम है। वहीं, कई विपक्षी नेताओं और आम नागरिकों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। उनका कहना है कि मंत्री का यह बयान आम जनता की स्वतंत्रता पर हमला है और यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

विपक्षी पार्टियों ने इसे ‘तानाशाही सोच’ करार दिया और कहा कि सरकार को लोगों पर यह तय करने का दबाव नहीं बनाना चाहिए कि वे क्या खरीदें और क्या नहीं। एक नेता ने तंज कसते हुए कहा, “अगर सरकार चाहती है कि जनता सिर्फ स्वदेशी सामान खरीदे, तो पहले उसे गुणवत्तापूर्ण और सस्ती घरेलू चीज़ें उपलब्ध करानी होंगी।”

हालांकि, शिक्षा मंत्री ने अपने बयान पर कायम रहते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी पर दबाव बनाना नहीं, बल्कि देश के नागरिकों को जागरूक करना है। उन्होंने साफ किया कि विदेशी सामान का बहिष्कार करना स्वैच्छिक होना चाहिए, लेकिन इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को हर किसी को समझना चाहिए।

राजस्थान में यह पहला मौका नहीं है जब किसी मंत्री के बयान ने ऐसा विवाद खड़ा किया हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि “स्वदेशी बनाम विदेशी” की यह बहस आने वाले दिनों में और तेज़ हो सकती है। खासकर जब चुनावी माहौल धीरे-धीरे बन रहा है, ऐसे बयानों का असर राजनीतिक समीकरणों पर भी पड़ सकता है।

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