लद्दाख हादसे में पठानकोट के कर्नल शहीद: देश ने खोया वीर सपूत
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लद्दाख हादसे में पठानकोट के कर्नल शहीद

डेढ़ साल के बेटे को छोड़ देश की सेवा में बलिदान हुए कर्नल भानू प्रताप सिंह

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पंजाब  पठानकोट के रहने वाले 33 वर्षीय लेफ्टिनेंट कर्नल भानू प्रताप सिंह ने देश सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। लद्दाख के दुर्गम क्षेत्र में देश की सुरक्षा में तैनात कर्नल सिंह का सैन्य वाहन अचानक एक चट्टान की चपेट में आ गया। यह हादसा इतना भयानक था कि मौके पर ही उनकी जान चली गई। अबरोल नगर, पठानकोट के रहने वाले कर्नल भानू प्रताप सेना की 14 हॉर्स रेजिमेंट में सेवा दे रहे थे और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में भारत-चीन सीमा के समीप तैनात थे। उनका यह बलिदान न सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गहरा आघात है।

कर्नल भानू प्रताप अपने पीछे अपनी पत्नी और डेढ़ साल के मासूम बेटे को छोड़ गए हैं। उनका पारिवारिक जीवन अभी पूरी तरह से खिलने भी नहीं पाया था कि देश सेवा की इस कठिन डगर ने एक और वीर जवान को हमसे छीन लिया। उनके पड़ोसी बताते हैं कि भानू बचपन से ही अनुशासनप्रिय और जिम्मेदार थे। उन्हें देशभक्ति की भावना अपने परिवार से विरासत में मिली थी। सेना में जाने का सपना उन्होंने स्कूली दिनों में ही देखा था और उन्होंने इसे साकार भी किया। उनकी आंखों में हमेशा देश की रक्षा का संकल्प झलकता था।

उनकी पत्नी, जो फिलहाल सदमे की स्थिति में हैं, कहती हैं कि “उन्होंने हमेशा कहा था कि एक सैनिक का जीवन देश के नाम होता है। मैं जानती हूं कि वे जिस रास्ते पर चले, वह आसान नहीं था, लेकिन वे हमेशा गर्व से कहते थे कि वर्दी पहनना उनके जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है।” उनकी शहादत की खबर जैसे ही पठानकोट पहुंची, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। स्थानीय लोग, सामाजिक संस्थाएं और पूर्व सैनिक उनके घर पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे। हर किसी की आंखें नम थीं और मन में सिर्फ एक ही बात—”भानू ने वाकई में देश के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया।”

सेना के उच्च अधिकारियों ने भी उनके बलिदान को नमन करते हुए कहा कि लेफ्टिनेंट कर्नल भानू प्रताप सिंह जैसे सैनिकों के कारण ही देश आज सुरक्षित है। वे एक वीर योद्धा थे और सेना में उनकी बहादुरी के किस्से हमेशा याद किए जाएंगे। देश ने एक सपूत खोया है, लेकिन उनका साहस, समर्पण और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। भानू प्रताप अब अमर हो गए हैं एक सैनिक के रूप में, एक बेटे के रूप में, एक पिता के रूप में और एक सच्चे भारतीय के रूप में।

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