राम नवमी पर अयोध्या में रामलला का सूर्य तिलक भक्तों पर सरयू जल की वर्षा…
अयोध्या में भव्य आयोजन, रामलला के दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब, पहली बार सूर्य तिलक उत्सव…
अयोध्या : रामनवमी के पावन अवसर पर अयोध्या नगरी एक बार फिर आस्था, श्रद्धा और दिव्यता से सराबोर हो गई है। इस बार का आयोजन ऐतिहासिक बन गया है क्योंकि राम जन्मभूमि परिसर में पहली बार रामलला का सूर्य तिलक किया गया, जिसमें सूर्य की किरणें सटीक गणना और विज्ञान के समन्वय से रामलला के मस्तक पर पड़ीं। यह दृश्य भक्तों के लिए आस्था का अद्भुत संगम था। सूर्य तिलक कार्यक्रम को लेकर पिछले कई महीनों से तैयारियां चल रही थीं, जिसमें वैज्ञानिकों, वास्तुकारों और मंदिर प्रशासन की बड़ी भूमिका रही। रामलला के गर्भगृह को इस प्रकार निर्मित किया गया है कि साल में एक बार रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें बिल्कुल सीधे उनके मस्तक पर पड़ें और यह तिलक की तरह प्रतीत हो।
इस अलौकिक क्षण को देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हुए हैं। राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में सुबह से ही भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, सभी के चेहरे पर उत्साह और आंखों में आस्था की चमक साफ दिखाई दे रही थी। श्रद्धालुओं की सेवा और व्यवस्थाओं के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। भव्य पंडाल, सुरक्षा के कड़े प्रबंध, पेयजल और प्रसाद वितरण की व्यवस्थाएं हर स्थान पर देखी जा रही हैं।
रामलला के सूर्य तिलक के अलावा एक और विशेष आयोजन सरयू आरती और जल वर्षा रहा। इस आयोजन के तहत सरयू नदी से जल भरकर भक्तों पर छिड़काव किया गया, जिसे पुण्य की वर्षा माना गया। सरयू जल को पवित्र माना जाता है और इसे अपने ऊपर ग्रहण करना भक्तों के लिए सौभाग्य की बात मानी जाती है। संगीतमय भजनों, शंखध्वनि और जय श्रीराम के नारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी रामलला के दर्शन किए और पूजा-अर्चना में भाग लिया। उन्होंने कहा कि अयोध्या अब विश्व का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र बनकर उभर रहा है। रामलला का सूर्य तिलक भारत की वैज्ञानिक प्राचीन परंपराओं का जीवंत प्रमाण है।
स्थानीय व्यापारियों और होटल संचालकों के अनुसार, इस बार रामनवमी पर अयोध्या में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं, जिससे धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिल रहा है। रेलवे और परिवहन विभाग ने भी विशेष ट्रेनें और बसें चलाई हैं ताकि श्रद्धालुओं को आने-जाने में कोई कठिनाई न हो।
यह आयोजन न केवल धर्म की शक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आधुनिक विज्ञान और परंपरा जब एक साथ आते हैं, तो कितनी सुंदर और दिव्य अनुभूति जन्म लेती है। रामलला का सूर्य तिलक आने वाले वर्षों में एक नई धार्मिक परंपरा की नींव रख चुका है, जो हर रामनवमी को अयोध्या को वैश्विक श्रद्धा का केंद्र बनाएगा।
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