नई दिल्ली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंसते नजर आ रहे हैं। देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ एक याचिका दायर की गई है, जिसमें उन पर महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर हिंसा भड़काने और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
यह याचिका अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय द्वारा दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि राज ठाकरे और उनकी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने जानबूझकर ऐसे भाषण और गतिविधियां की हैं जिससे राज्य में सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है और कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है।
घनश्याम उपाध्याय ने कोर्ट से मांग की है कि ठाकरे और MNS नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इन मामलों में समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो यह भाषाई और सामाजिक तनाव को और बढ़ावा दे सकता है। याचिका में विशेष तौर पर महाराष्ट्र में हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ दिए गए बयानों और भड़काऊ भाषणों का उल्लेख किया गया है, जिनके कारण कई बार राज्य में अप्रिय घटनाएं हो चुकी हैं।
राज ठाकरे अपने आक्रामक राजनीतिक भाषणों के लिए जाने जाते हैं और इससे पहले भी वे उत्तर भारतीयों के खिलाफ बयानबाजी को लेकर विवादों में रहे हैं। हाल ही में उन्होंने मराठी भाषा को लेकर एक बार फिर तीखा रुख अपनाया, जिसे लेकर इस याचिका में सवाल उठाया गया है। उपाध्याय का कहना है कि यह सिर्फ राजनीति का विषय नहीं है, बल्कि देश की एकता और अखंडता से जुड़ा मामला है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि ऐसे नेताओं पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जो सार्वजनिक मंच से समाज को बांटने की कोशिश करते हैं।
याचिका पर सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन इसने महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी है। MNS की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक पार्टी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर क्या रुख अपनाता है और क्या राज ठाकरे को इस मामले में कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ेगा।
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