पीएम मोदी का थाईलैंड और श्रीलंका दौरा कितना अहम..
बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की भागीदारी से क्या बदलेंगे दक्षिण एशिया के समीकरण…
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी विदेश दौरे का कार्यक्रम सामने आ गया है, जिसके तहत वे 3 से 6 अप्रैल तक थाईलैंड और श्रीलंका की यात्रा करेंगे। इस दौरे का मुख्य आकर्षण बैंकॉक में होने वाला बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन होगा, जहां पीएम मोदी दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के कई नेताओं से मुलाकात करेंगे। इस यात्रा को कूटनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि भारत इस क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है।
बिम्सटेक (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) एक बहुपक्षीय संगठन है, जिसमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, नेपाल और भूटान शामिल हैं। इस संगठन का उद्देश्य क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना और व्यापारिक तथा रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना है। भारत लंबे समय से बिम्सटेक को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है, और पीएम मोदी की इस यात्रा से संगठन को नई गति मिलने की उम्मीद है।
थाईलैंड की यात्रा के दौरान पीएम मोदी बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और सदस्य देशों के प्रमुख नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इस बैठक में व्यापार, सुरक्षा, कनेक्टिविटी और आपदा प्रबंधन जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। भारत चाहता है कि बिम्सटेक को एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन के रूप में स्थापित किया जाए, जिससे दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को आर्थिक और रणनीतिक लाभ मिल सके।
श्रीलंका यात्रा के दौरान पीएम मोदी कोलंबो में श्रीलंकाई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। इस दौरान भारत-श्रीलंका के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने, समुद्री सुरक्षा सहयोग मजबूत करने और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर चर्चा होने की संभावना है। श्रीलंका भारत के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण देश है, और हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंध काफी मजबूत हुए हैं। भारत ने श्रीलंका में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है और इस यात्रा के दौरान नए समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।
भारत ने बिम्सटेक को एक सक्रिय संगठन बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए हैं, खासकर तब से जब दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) निष्क्रिय होता जा रहा है। बिम्सटेक में भारत की भूमिका एक अग्रणी देश की रही है और पीएम मोदी की यह यात्रा संगठन की मजबूती की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करेगा। भारत चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए बिम्सटेक के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है। इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की विभिन्न नेताओं से मुलाकात और समझौतों पर हस्ताक्षर भारत की विदेश नीति को एक नई दिशा दे सकते हैं।
Comments are closed.