टेबल टेनिस टूर्नामेंट में जीटीटीए का शानदार प्रदर्शन
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टेबल टेनिस टूर्नामेंट में जीटीटीए का जलवा

एकमप्रीत ने जीता स्वर्ण, रुद्राक्ष और मेहताब को कांस्य….

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चंडीगढ़ के सेक्टर-50 खेल परिसर में चल रहे रैंकिंग टेबल टेनिस टूर्नामेंट 2025 में जीटीटीए यानी ग्लोबल टेबल टेनिस अकादमी के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। खेल भावना, अनुशासन और मेहनत के मिश्रण से भरे इस टूर्नामेंट में युवा खिलाड़ियों ने अपना लोहा मनवाया और भविष्य के सितारे बनने की ओर कदम बढ़ाया।

इस टूर्नामेंट का मुख्य आकर्षण रहे एकमप्रीत सिंह, जिन्होंने अंडर-13 बालक वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर अपने कोच और अकादमी का नाम रोशन किया। एकमप्रीत की रफ्तार, संतुलन और रणनीति देखने लायक थी। उनके खेल में आत्मविश्वास और परिपक्वता साफ झलक रही थी।

इसके अलावा, रुद्राक्ष ने अंडर-11 वर्ग में कांस्य पदक जीता। रुद्राक्ष की उम्र भले ही छोटी हो, लेकिन उनकी ऊर्जा और टेबल पर मौजूदगी किसी अनुभवी खिलाड़ी से कम नहीं थी। वहीं, मेहताब ने अंडर-13 में कांस्य पदक हासिल कर यह दिखा दिया कि प्रतिस्पर्धा के इस स्तर पर वह भी किसी से पीछे नहीं हैं।

अंडर-15 बालिका वर्ग में अर्शी ने अपने शानदार खेल से कांस्य पदक जीता। अर्शी की सर्विस और फुर्तीले मूवमेंट्स ने दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। वरिष्ठ मेहताब, जिन्होंने अंडर-17 वर्ग में हिस्सा लिया, उन्होंने भी कांस्य पदक जीतकर टूर्नामेंट में जीटीटीए की पदक सूची को और समृद्ध कर दिया।

जीटीटीए प्रबंधन और कोचिंग स्टाफ ने अपने खिलाड़ियों के इस प्रदर्शन पर खुशी जताई है और भविष्य में और भी बेहतर तैयारी की बात कही है। अकादमी का मानना है कि इन युवा प्रतिभाओं में देश के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर पदक लाने की पूरी क्षमता है, बस ज़रूरत है निरंतर मेहनत, सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास की।

इस टूर्नामेंट में न केवल खिलाड़ी, बल्कि उनके माता-पिता, प्रशिक्षक और आयोजक भी उत्साहित नजर आए। बच्चों की मेहनत और जुनून ने माहौल को जीवंत कर दिया था। इस आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि चंडीगढ़ जैसे शहर में खेल संस्कृति लगातार बढ़ रही है और यहां से भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकल सकते हैं।

जीटीटीए का उद्देश्य सिर्फ खेल में सफलता नहीं, बल्कि खिलाड़ियों के समग्र विकास पर भी है। इस तरह के प्रदर्शन उन्हें न सिर्फ अच्छे खिलाड़ी बनाते हैं, बल्कि उन्हें अनुशासन, समर्पण और सहयोग जैसे जीवन मूल्यों से भी जोड़ते हैं।

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