क्या चंडीगढ़ के सभी प्राइवेट स्कूल अब गरीब बच्चों को मुफ्त पढ़ाएंगे?
चंडीगढ़ के सभी प्राइवेट स्कूलों में गरीब छात्रों के लिए आरक्षित होंगी सीटें....
बिना नीलामी के जमीन पाने वाले निजी स्कूलों को करनी होगी समाजसेवा, 15% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए
चंडीगढ़ :प्रशासन ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब शहर के सभी प्राइवेट स्कूलों को अपनी कुल सीटों में से कम से कम 15 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होंगी। यह नियम विशेष रूप से उन स्कूलों पर लागू होगा जिन्हें सरकारी भूमि बिना नीलामी के आवंटित की गई है। प्रशासन का मानना है कि जब सरकार उन्हें सब्सिडी या रियायत देकर जमीन देती है, तो बदले में स्कूलों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे समाज के कमजोर तबकों के लिए योगदान दें।
इस आदेश के पीछे सरकार की मंशा यह है कि शिक्षा केवल अमीरों तक सीमित न रह जाए, बल्कि समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिले। चंडीगढ़ प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह कदम राइट टू एजुकेशन एक्ट (RTE) के तहत उठाया गया है, ताकि शिक्षा में समानता सुनिश्चित की जा सके। यदि कोई स्कूल इस दिशा-निर्देश का पालन नहीं करता है तो उसकी जमीन की लीज को रद्द भी किया जा सकता है।
यह फैसला प्रशासन और समाज दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आया है। अब स्कूल केवल व्यवसाय का जरिया नहीं रहेंगे, बल्कि समाज निर्माण में भी उनकी भागीदारी होगी। जिन स्कूलों को कम कीमत या बिना बोली के सरकारी जमीन दी गई है, उनके लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे हर साल नई दाखिला प्रक्रिया में गरीब और वंचित बच्चों को मौका दें।
यह फैसला कई परिवारों के लिए आशा की किरण बनकर आया है, खासकर उन माता-पिता के लिए जो अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाना तो चाहते हैं लेकिन आर्थिक तंगी के कारण ऐसा कर नहीं पाते। अब इन बच्चों के लिए भी अच्छे स्कूलों के दरवाजे खुल सकेंगे।
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