कौन था वो सुपरस्टार जिसने इंदिरा को न कहा..
इंदिरा गांधी सरकार की फिल्म को ठुकराने वाला अभिनेता बना मिसाल..
मुंबई, महाराष्ट्र : भारतीय सिनेमा के इतिहास में कई कलाकार अपनी बेहतरीन अदाकारी और जबरदस्त स्टारडम के लिए जाने जाते हैं, लेकिन कुछ सितारे ऐसे भी रहे हैं जिन्होंने अपने अभिनय से ज़्यादा, अपने सिद्धांतों और साहसिक फैसलों से इतिहास रच दिया। ऐसा ही एक नाम है बॉलीवुड के महानायक मनोज कुमार का।
मनोज कुमार सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि एक सोच थे, एक विचारधारा थे – ‘भारत’ के प्रतीक बन चुके अभिनेता। देशभक्ति पर आधारित उनकी फिल्मों ने उन्हें ‘भारत कुमार’ की पहचान दी, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि उन्होंने एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा पेश की गई एक फिल्म को करने से मना कर दिया था।
यह बात 1970 के दशक की है जब इंदिरा गांधी की सरकार चाहती थी कि मनोज कुमार एक सरकारी प्रायोजित फिल्म में मुख्य भूमिका निभाएं, जो सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने का माध्यम बनती। उस समय मनोज कुमार अपने करियर के चरम पर थे और उनकी देशभक्ति आधारित फिल्में जैसे उपकार, पूरब और पश्चिम और रोटी कपड़ा और मकान सुपरहिट हो चुकी थीं।
सरकार का मानना था कि मनोज कुमार जैसा अभिनेता, जिसकी छवि जनता के दिलों में साफ-सुथरी और राष्ट्रवादी थी, वह इस फिल्म के ज़रिए सरकारी संदेश को प्रभावशाली तरीके से पहुंचा सकता है। लेकिन मनोज कुमार ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे किसी भी सरकारी प्रचार का हिस्सा नहीं बनना चाहते, और उनकी फिल्में केवल जनता के लिए हैं, सरकार के लिए नहीं।
इस फैसले ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी। इंदिरा गांधी सरकार को उम्मीद नहीं थी कि कोई सुपरस्टार उनके प्रस्ताव को ठुकरा देगा। लेकिन मनोज कुमार अपने निर्णय पर अडिग रहे। उन्होंने बाद में एक साक्षात्कार में कहा था, “मैं किसी सरकार का अभिनेता नहीं हूं, मैं भारत का अभिनेता हूं।” उनका यह बयान आज भी उनके साहस और सिद्धांतों की मिसाल माना जाता है।
हालांकि इस फैसले का असर उनके करियर पर नहीं पड़ा, बल्कि इससे उनकी लोकप्रियता और भी बढ़ गई। जनता ने उनके इस रुख की सराहना की और उन्हें असली ‘भारत कुमार’ माना।
समय के साथ राजनीतिक परिस्थितियां बदलीं, सरकारें आईं और गईं, लेकिन मनोज कुमार का यह निर्णय आज भी फिल्म इंडस्ट्री में उस दौर का एक साहसी उदाहरण माना जाता है, जब एक कलाकार ने सत्ता के सामने न झुकने का फैसला लिया।
बॉलीवुड में आज भी जब नैतिकता और सृजनात्मक स्वतंत्रता की बात होती है, तो मनोज कुमार का नाम आदर से लिया जाता है। यह कहानी न केवल उनके स्टारडम की झलक देती है, बल्कि इस बात का प्रमाण भी है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि विचार और बदलाव का वाहक भी हो सकता है
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