ऑनलाइन गेमिंग कंपनी जूपी ने 30% कर्मचारियों को निकाला
MPL और पोकरबाजी के बाद अब जूपी में छंटनी, रियल मनी गेमिंग बैन से कारोबार प्रभावित….
नई दिल्ली: भारत के ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर में छंटनी का सिलसिला जारी है। रियल मनी गेमिंग पर बैन और लगातार बढ़ते नियामकीय दबाव के बीच जानी-मानी कंपनी जूपी (Zupee) ने अपने करीब 30% कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है।
कंपनी सूत्रों के अनुसार, यह छंटनी कई विभागों में की गई है, जिनमें प्रोडक्ट, ऑपरेशंस और मार्केटिंग टीमें सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं। जूपी के पास अभी तक लगभग 800 कर्मचारी थे, जिनमें से 250 से अधिक लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया गया।
यह विकास ऐसे समय आया है जब इससे पहले मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) और पोकरबाजी (PokerBaazi) जैसी बड़ी कंपनियां भी इसी तरह की छंटनी कर चुकी हैं।
क्यों हुई छंटनी?
विशेषज्ञों के अनुसार, इसका सबसे बड़ा कारण है पिछले साल कई राज्यों में रियल मनी गेमिंग पर लगा प्रतिबंध। सरकारों ने इसे जुए की श्रेणी में रखते हुए बैन लगाया, जबकि कंपनियां लगातार यह तर्क देती रही हैं कि उनके गेम्स स्किल-आधारित हैं।
नियामकीय अनिश्चितता की वजह से न केवल कारोबार प्रभावित हुआ बल्कि निवेशकों का भरोसा भी डगमगा गया। महामारी के समय जब ऑनलाइन गेमिंग तेजी से बढ़ रहा था, तब जूपी जैसी कंपनियों ने करोड़ों डॉलर की फंडिंग जुटाई थी। लेकिन अब रेवेन्यू में भारी गिरावट आई है।
इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर भी खिलाड़ियों और गेमिंग समुदाय ने इस खबर पर निराशा जताई है। उनका कहना है कि अचानक नियमों के बदलने से सिर्फ कंपनियां ही नहीं, बल्कि डेवलपर्स, इन्फ्लुएंसर्स और टूर्नामेंट आयोजकों पर भी बुरा असर पड़ा है।
जूपी की आगे की रणनीति
कंपनी प्रबंधन ने संकेत दिया है कि अब वह नॉन-रियल मनी गेमिंग यानी कैज़ुअल और एजुकेशनल गेम्स पर फोकस करेगी। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इनसे होने वाला रेवेन्यू अभी रियल मनी गेम्स की भरपाई नहीं कर पाएगा।
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