अमेरिका में ट्रंप का नया प्लान? भारतीय IT कंपनियों से आउटसोर्सिंग रुक सकती है
अमेरिकी एक्टिविस्ट का दावा—ट्रम्प प्रशासन भारतीय कंपनियों पर कड़ा रुख अपनाने की तैयारी में…..
वॉशिंगटन/नई दिल्ली: भारतीय IT कंपनियों के लिए एक बड़ी चिंता की खबर सामने आई है। अमेरिका के एक प्रमुख एक्टिविस्ट ने दावा किया है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगर फिर से सत्ता में आते हैं, तो भारतीय कंपनियों को मिलने वाले आउटसोर्सिंग काम पर रोक लग सकती है।
एक्टिविस्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन भारतीय IT कंपनियों पर कड़ा रुख अपनाने की योजना बना रहा है। यह कदम अमेरिका में “लोकल जॉब्स” को बढ़ावा देने और बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए उठाया जा सकता है।
भारत की IT इंडस्ट्री लंबे समय से अमेरिकी कंपनियों के लिए बैकबोन रही है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल जैसी कंपनियां अमेरिकी मार्केट से अरबों डॉलर का बिज़नेस करती हैं। अगर आउटसोर्सिंग पर पाबंदी लगती है तो इन कंपनियों के मुनाफे पर सीधा असर पड़ेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका IT सेवाओं के लिए भारत पर काफी हद तक निर्भर है। ऐसे में अचानक आउटसोर्सिंग रोकना न तो आसान होगा और न ही तुरंत संभव। लेकिन अगर नीति में बदलाव आता है तो इसका असर धीरे-धीरे देखने को मिल सकता है।
भारत में लाखों युवा IT कंपनियों में काम करते हैं और उनका बड़ा हिस्सा अमेरिकी प्रोजेक्ट्स पर आधारित है। आउटसोर्सिंग रुकने से नौकरियों पर भी संकट खड़ा हो सकता है।
ट्रंप पहले भी अपने कार्यकाल के दौरान “अमेरिका फर्स्ट” पॉलिसी के तहत H-1B वीज़ा नियमों को सख्त कर चुके हैं। अब एक्टिविस्ट का यह बयान इस बात का संकेत है कि ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं तो भारतीय IT इंडस्ट्री के लिए चुनौती और बढ़ सकती है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ चुनावी राजनीति का हिस्सा भी हो सकता है। अमेरिका में लोकल जॉब्स को लेकर मुद्दे हमेशा से राजनीतिक बहस का केंद्र रहे हैं।
भारतीय IT कंपनियों की नजर अब अमेरिकी चुनावों और आने वाले फैसलों पर टिकी है। अगर आउटसोर्सिंग रोकने का कदम उठाया जाता है, तो कंपनियों को नए मार्केट्स और इनोवेशन की ओर रुख करना पड़ेगा
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