टिहरी में बादल फटा: भारी मलबे से भागीरथी का प्रवाह रुका, झील बनी, दो मंदिर दबे
गेंवाली गांव में तबाही, गोशाला मलबे में दबी, दो गायों की मौत, ग्रामीण सुरक्षित….
घनसाली (टिहरी) :– भिलंगना ब्लॉक के सीमांत क्षेत्र गेंवाली गांव में शुक्रवार तड़के बादल फटने से भारी तबाही मच गई। इस प्राकृतिक आपदा ने निजी और सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया है। राहत की बात यह रही कि किसी भी ग्रामीण को कोई चोट नहीं आई।
बताया गया कि सुबह करीब तीन बजे जब लोग सो रहे थे, तभी तेज आवाज सुनाई दी। ग्रामीणों के अनुसार, यह आवाज गदेरे (छोटी नदी) में आए मलबे और बोल्डरों की थी। अंधेरा छटने पर हालात सामने आए तो पता चला कि गांव में एक गोशाला पूरी तरह मलबे में दब गई, जिसमें बंधी दो गायों की मौत हो गई। इसके अलावा, गांव के पास स्थित शिव मंदिर और भैरव मंदिर भी मलबे में दब गए और केवल उनका ऊपरी हिस्सा ही दिखाई दे रहा है।
मलबे और बोल्डरों के कारण भागीरथी नदी का प्रवाह भी रुक गया, जिससे लगभग 100 मीटर तक झील बन गई है। आपदा से कई नाली कृषि भूमि, पेयजल लाइनें, विद्युत लाइनें, पैदल रास्ते और पुलिया भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
राहत और बचाव में बाधा
आपदा की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने राहत एवं बचाव टीम भेजी, लेकिन टीम जखाणा से आगे नहीं बढ़ पाई। कारण – नदी का उफान और जखाणा-गेंवाली रोड तीन जगह से कट जाना। एसडीएम संदीप कुमार ने बताया कि टीम लगातार ग्रामीणों से संपर्क में है और गांव के सभी लोग सुरक्षित हैं।
भूवैज्ञानिकों ने पहले दी थी चेतावनी
ग्रामीणों के अनुसार, 2012-13 की आपदा के समय भूवैज्ञानिकों ने गेंवाली गांव के विस्थापन की सिफारिश की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूर्व प्रधान बचन सिंह रावत ने बताया कि इस बार बादल गांव से करीब 500 मीटर ऊपर गरखेत तोक में फटा। गनीमत रही कि गदेरा थोड़ी दूरी पर था, जिससे गांव बच गया, लेकिन खेती-बाड़ी और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ।
संचार की समस्या
गांव में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं होने से सूचना देने में देरी हुई। एक ग्रामीण को प्रशासन को खबर पहुंचाने के लिए आधा किलोमीटर दूर जाना पड़ा। यहां 65 से अधिक परिवार रहते हैं जो लगातार आपदा के खतरे में जी रहे हैं। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से स्थायी समाधान और सुरक्षा उपाय करने की मांग की है।
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