कर्नाटक में 9वीं की छात्रा ने स्कूल के शौचालय में दिया बच्चे को जन्म……
...... प्रिंसिपल-वार्डन से लेकर भाई तक बुरे फंसे
बेंगालूरु(कर्नाटक): यादगीर जिले के शाहपुर तालुक में कक्षा 9 की एक छात्रा ने स्कूल के शौचालय में एक बच्चे को जन्म दिया। छात्रा सरकारी स्कूल में पढ़ती है। पुलिस ने बताया कि लड़की पूर्ण गर्भावस्था में थी। लगभग नौ महीने पहले एक अज्ञात व्यक्ति ने उसका यौन उत्पीड़न किया था। घटना बुधवार दोपहर लगभग 2 बजे हुई।
मामला तब खुलकर सामने आया जब छात्रा की सहपाठियों ने देखा कि लड़की प्रसव पीड़ा में है। उन्होंने स्कूल प्रशासन को इसकी सूचना दी। हालांकि, छात्रा ने घटना का विवरण या उसके साथ यौन उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति का नाम बताने से इनकार कर दिया।
लड़की और बच्चा दोनों सुरक्षित: एसपी ने कहा कि छात्रा ने अधिकारियों को केवल इतना बताया कि शौचालय में उसे पेट में दर्द हुआ था और उसने वहीं बच्चे को जन्म दिया। पुलिस के अनुसार, लड़की और बच्चे दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दोनों फिलहाल ठीक हैं। पुलिस ने कहा कि न तो स्कूल प्रबंधन और न ही पीड़िता के भाई ने उन्हें घटना के बारे में सूचित किया। जांच के दौरान, पुलिस ने आरोपी की पहचान 28 वर्षीय व्यक्ति के रूप में की। इसके साथ, जिला बाल संरक्षण अधिकारी की शिकायत के आधार पर पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।
इन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज: पुलिस ने बताया कि छात्रावास वार्डन, स्कूल प्रिंसिपल, स्टाफ नर्स और पीड़िता के भाई सहित चार अन्य लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। इन पर अधिकारियों को लड़की की गर्भावस्था की जानकारी न देने का आरोप है। लड़की शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत से ही लगातार स्कूल जा रही थी। इस बीच, कर्नाटक आवासीय शैक्षणिक संस्थान संघ (केआरईआईएस) ने छात्रों की शैक्षणिक और स्वास्थ्य स्थितियों की निगरानी में लापरवाही और कर्तव्यहीनता के आरोप में प्रिंसिपल और छात्रावास वार्डन सहित चार स्कूल कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है।
पुलिस ने क्या कहा: पुलिस ने कहा कि मामले की जांच अभी चल रही है। हम पता कर रहे हैं कि गलती किसकी है। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद हम कार्रवाई करेंगे। बयान में कहा गया है कि हम ऐसी घटना को दोबारा न हो, इसे रोकने के लिए कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि हम माता-पिता द्वारा इसे छिपाने और बाल विवाह के मामले की जांच करेंगे। नोडल अधिकारी नियुक्त किए जायेंगे और छात्रावास की समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जाएगी। बाल अधिकार आयोग के सदस्य शशिधर कोसुम्बे ने अधिकारियों की लापरवाही की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्हें उस समय ध्यान देना चाहिए था जब बच्ची में शारीरिक परिवर्तन हो रहे थे।
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