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IPS गौतम चीमा को CBI कोर्ट ने दी सजा, हिरासत में व्यक्ति को जबरन छुड़ाने का था आरोप

मोहाली केस में 6 आरोपियों को 8 महीने की सजा, गौतम चीमा भी दोषी ठहराए गए....

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मुंबई: पंजाब के पूर्व आईपीएस अधिकारी गौतम चीमा को मोहाली पुलिस स्टेशन में हिरासत से एक व्यक्ति को जबरन छीनने के मामले में दोषी पाया गया है। सीबीआई अदालत ने इस मामले में कुल छह आरोपियों को सजा सुनाई, जिनमें गौतम चीमा भी शामिल हैं। अदालत ने सभी आरोपियों को आठ महीने की सश्रम कारावास और जुर्माना की सजा सुनाई।

यह मामला मोहाली के फेज-1 पुलिस स्टेशन से जुड़ा हुआ है, जहां आरोप था कि छह आरोपियों ने मिलकर पुलिस की वैध हिरासत से एक व्यक्ति को जबरन छीन लिया। इन आरोपियों में तत्कालीन पंजाब पुलिस के आईजीपी (इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) गौतम चीमा, अजय चौधरी (IDES) और चार निजी व्यक्ति शामिल थे। सीबीआई ने जांच की और अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई।

गौतम चीमा 1995 बैच के पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे हैं और इस समय वह पंजाब पुलिस में आईजीपी पद पर कार्यरत थे। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा MA और M.Phil की डिग्री प्राप्त की है। वह मूल रूप से पंजाब के निवासी हैं और अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने सभी दोषियों को आठ महीने की सश्रम कारावास और कुल 39,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। निजी आरोपियों में वरुण उतरेजा (तत्कालीन अधिवक्ता), सुश्री रश्मि नेगी, विक्की वर्मा, और आर्यन सिंह शामिल हैं। यह मामला कानून और न्याय की प्रणाली में पारदर्शिता का प्रतीक माना जा रहा है।

यह सजा इस बात का प्रमाण है कि कानून के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाती है, चाहे वह कोई भी पद या ओहदा रखता हो। इस फैसले से यह भी साफ होता है कि न्यायालय किसी भी व्यक्ति को पद और ताकत के आधार पर बचाव का मौका नहीं देता और सभी को समान रूप से सजा देने का काम करता है।


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