Indian Navy की पहली शहीद महिला अधिकारी: किरण शेखावत की बहादुरी और बलिदान की कहानी
केंद्रीय विद्यालय से Navy तक का सफर, एक रात ने बदल दी जिंदगी...
Indian Navy Story: लेफ्टिनेंट किरण शेखावत — एक ऐसा नाम, जो आज भी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो देश सेवा का सपना देखते हैं। मात्र 26 साल की उम्र में देश के लिए ड्यूटी करते हुए शहीद होने वाली किरण भारतीय नौसेना की पहली महिला शहीद अधिकारी बनीं।
केंद्रीय विद्यालय से इंडियन नेवी तक
1 मई 1988 को मुंबई में जन्मीं किरण के परिवार की जड़ें राजस्थान के झुंझुनू जिले के सेफरगुवार गांव से जुड़ी हैं। उनके पिता हॉनरेरी लेफ्टिनेंट विजेंद्र सिंह शेखावत खुद नेवी में सेवक थे। मां मधु चौहान ने हर पोस्टिंग पर परिवार संभाला और किरण व उनके भाई संदीप को देशभक्ति की भावना दी।
किरण ने विशाखापत्तनम के केंद्रीय विद्यालय-II से पढ़ाई की और आंध्र यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में B.Sc की डिग्री हासिल की। कुछ समय तक प्राइवेट बैंक में काम करने के बाद 2010 में उनका चयन इंडियन नेवी में हो गया।
नेवी में कठिन ट्रेनिंग और शानदार सफर
INA (Indian Naval Academy), केरल में ट्रेनिंग के बाद 5 जुलाई 2010 को किरण को कमीशन मिला। उन्होंने नेवल ऑब्जर्वर की चुनौतीपूर्ण ट्रेनिंग पूरी की और फरवरी 2012 में अपनी विंग्स प्राप्त कीं।
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पहली पोस्टिंग: INAS 311 (काइट्स), गोवा — मिशन कंट्रोलर के तौर पर।
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बाद में: INAS 310 (कोबरा) — इंटेलिजेंस-वॉरफेयर विशेषज्ञ।
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26 जनवरी 2015: गणतंत्र दिवस परेड में पहले ऑल-वुमन नेवी कंटिनजेंट का हिस्सा बनीं।
किरण को किताबें पढ़ना, संगीत सुनना और डांस करना बेहद पसंद था। फरवरी 2013 में उन्होंने नेवी ऑफिसर लेफ्टिनेंट विवेक सिंह छोकर से शादी की।
24 मार्च 2015: वो आखिरी रात
यह रात किरण के लिए अंतिम सिद्ध हुई। गोवा तट से उड़ान भरते हुए INAS-310 के डोर्नियर Do-228 विमान में किरण ऑब्जर्वर थीं। कुछ ही देर में विमान रडार से गायब हो गया।
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पायलट निखिल जोशी को बचा लिया गया,
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लेकिन किरण और को-पायलट अभिनव नागोरी की बॉडी 2 दिन बाद समुद्र की 60 मीटर गहराई से मिली।
यह भारतीय नेवी का पहला डोर्नियर क्रैश था और इसने नाइट ऑपरेशंस की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए।
सम्मान और स्मरण
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29 मार्च 2015: हरियाणा के कुरथला गांव में किरण का अंतिम संस्कार पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ किया गया।
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2 एकड़ में शहीद पार्क बनाया गया, जहां उनकी प्रतिमा स्थापित है।
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7.5 किमी लंबी सड़क का नाम “लेफ्टिनेंट किरण शेखावत रोड” रखा गया।
किरण के नाम से बना फाउंडेशन
मार्च 2016 में उनके परिवार ने ‘लेफ्टिनेंट किरण शेखावत फाउंडेशन’ शुरू किया जो गरीबों और युवाओं की मदद करता है। साथ काम करने वाले उन्हें ‘Iron Lady’ कहते थे।
एक प्रेरणा बन गई किरण
किरण शेखावत की शहादत और जीवन आज भी उन लड़कियों को राह दिखाता है, जो सेना में करियर बनाना चाहती हैं। उनका जीवन भले ही छोटा रहा, लेकिन उन्होंने देशभक्ति, साहस और नारी शक्ति की अमर मिसाल पेश की।
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