GST परिषद की बैठक: बिस्किट, चिप्स, टीवी, फ्रिज और कारों पर कर कटौती
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GST परिषद की बैठक: बिस्किट, चिप्स, टीवी, फ्रिज और कारों पर कर कटौती संभव

400 से अधिक वस्तुओं के लिए जीएसटी दरों में बदलाव पर कल हो सकता है फैसला....

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में GST परिषद की 56वीं बैठक चल रही है। दो दिवसीय बैठक में केंद्रीय और राज्य वित्त मंत्री शामिल हैं। बैठक के फैसलों का एलान 4 सितंबर को होने की संभावना है।

इस बैठक में हेयर ऑयल से लेकर छोटी कारों तक लगभग 400 वस्तुओं पर कर कटौती की योजना पर चर्चा होगी। सरकार का मकसद घरेलू मांग को बढ़ावा देना और अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ से पैदा हुई चुनौतियों का मुकाबला करना है।

विशेषज्ञों के अनुसार, परिषद वर्तमान में चार स्लैब के बजाय केवल 5% और 18% के दो स्लैब पर विचार कर सकती है। 12% और 28% स्लैब को समाप्त किया जा सकता है। इसके अलावा, विलासितापूर्ण वस्तुओं जैसे सिगरेट और महंगी कारों पर 40% का अतिरिक्त स्लैब लाने पर भी विचार किया जाएगा।

उपभोक्ता वस्तुओं पर कर में संभावित बदलाव:

टूथपेस्ट और शैम्पू: 18% → 5%

छोटी कारें, एयर कंडीशनर, टीवी: 28% → 18%

दैनिक उपयोग की सभी वस्तुएं: 5% की श्रेणी में लाने का प्रस्ताव

वित्तीय विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस कटौती से 21 बिलियन डॉलर का जीएसटी राजस्व नुकसान होगा, जिसमें राज्यों का हिस्सा केंद्र सरकार से अधिक प्रभावित होगा।

राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया:
विपक्ष शासित आठ राज्यों ने राजस्व हानि की भरपाई की मांग की है। वहीं, आंध्र प्रदेश ने केंद्र के प्रस्तावों का समर्थन किया है।

जीएसटी सुधार के तीन स्तंभ:

संरचनात्मक सुधार: दरों और नीति में स्पष्टता

दर युक्तिकरण: कर स्लैब का सरल और तार्किक पुनर्गठन

जीवन आसान बनाना: छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए तकनीक-आधारित पंजीकरण और तेज़ रिफंड प्रक्रिया

GST कटौती के बाद इन वस्तुओं की कीमतों में कमी की संभावना:

डेयरी उत्पाद: मक्खन, पनीर, छाछ

रेडी टू इट फूड्स: जैम, अचार, स्नैक्स, चटनी

पर्सनल केयर: टूथपेस्ट, शैम्पू, साबुन, टैल्कम पाउडर

कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स: एसी, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन

निजी वाहन: छोटी कारें, हाइब्रिड कारें, मोटरसाइकिल, स्कूटर

बीमा: लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर शून्य प्रतिशत GST का प्रस्ताव

विशेषज्ञों का मानना है कि इन वस्तुओं पर कर कटौती से उपभोक्ता खपत बढ़ेगी और घरेलू बाजार में मांग को बढ़ावा मिलेगा।

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