सीएम योगी पर बनी फिल्म को मिला सर्टिफिकेट, युवाओं के लिए संदेश
डायरेक्टर बोले- सेंसर बोर्ड को एनओसी मांगने का हक नहीं; कोर्ट के आदेश के बाद मिली मंजूरी…..
लखनऊ/मुंबई: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आधारित फिल्म को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद आखिरकार खत्म हो गया है। कोर्ट के आदेश के बाद फिल्म को सर्टिफिकेट मिल गया है और अब इसके रिलीज का रास्ता साफ हो गया है।
फिल्म के डायरेक्टर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह फिल्म खासतौर पर युवाओं को एक मजबूत और सकारात्मक संदेश देने के उद्देश्य से बनाई गई है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि “सेंसर बोर्ड को एनओसी मांगने का कोई अधिकार नहीं है।” उनके मुताबिक, यह फिल्म कानूनी प्रक्रिया से होकर गुज़री है और कोर्ट के आदेश के बाद सेंसर बोर्ड को मजबूरन सर्टिफिकेट देना पड़ा।
डायरेक्टर का कहना है कि फिल्म का मकसद किसी भी राजनीतिक दल को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि युवाओं को यह दिखाना है कि कैसे कठिनाइयों और चुनौतियों के बीच भी दृढ़ इच्छाशक्ति और मजबूत नेतृत्व से बदलाव लाया जा सकता है।
फिल्म में योगी आदित्यनाथ के जीवन के शुरुआती संघर्ष, गोरखपुर से जुड़ी उनकी यात्रा और उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था सुधारने के प्रयासों को दिखाया गया है। डायरेक्टर का मानना है कि फिल्म देखने के बाद युवा समझेंगे कि मेहनत, अनुशासन और साफ नीयत से सफलता हासिल की जा सकती है।
सेंसर बोर्ड और फिल्म निर्माताओं के बीच पहले से ही टकराव की स्थिति बनी हुई थी। बोर्ड का कहना था कि फिल्म रिलीज से पहले एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) लेना जरूरी है। लेकिन कोर्ट के आदेश में साफ किया गया कि किसी भी फिल्म को सर्टिफिकेट देने के लिए एनओसी अनिवार्य नहीं है। इसके बाद सेंसर बोर्ड को मजबूरन फिल्म को क्लियर करना पड़ा।
अब जबकि फिल्म को मंजूरी मिल चुकी है, मेकर्स का कहना है कि यह जल्द ही थिएटर्स में रिलीज होगी। रिलीज डेट का ऐलान अगले कुछ दिनों में किया जाएगा।
क्रिटिक्स का मानना है कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर किस हद तक सफल होगी, यह कहना अभी मुश्किल है। लेकिन यह तय है कि फिल्म युवाओं और राजनीतिक विषयों में रुचि रखने वाले दर्शकों के बीच चर्चा का विषय जरूर बनेगी
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