BRICS में अब रूपये में होगा व्यापार, क्या रुपया बनेगा ग्लोबल करेंसी?
BRICS देशों का ऐतिहासिक फैसला – भारतीय रुपये में होगा आपसी व्यापार, डॉलर की पकड़ को मिलेगी चुनौती……
नई दिल्ली: वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। BRICS समूह (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका) ने अब भारतीय रुपये में व्यापार करने का फैसला किया है। यह निर्णय न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे BRICS देशों के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है। अभी तक अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर का दबदबा रहा है, लेकिन इस कदम से भारतीय रुपये को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलने की संभावना बढ़ गई है।
अब तक BRICS देश आपसी व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर पर निर्भर थे। लेकिन हालिया समझौते के बाद भारत से होने वाले व्यापार में रुपये का सीधा इस्तेमाल किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि जब रूस भारत को कच्चा तेल बेचेगा या ब्राज़ील कोई वस्तु निर्यात करेगा, तो भुगतान भारतीय रुपये में किया जाएगा। इससे डॉलर पर निर्भरता घटेगी और लेन-देन आसान होगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदे
डॉलर पर निर्भरता कम होगी – रुपये में व्यापार होने से भारत को विदेशी मुद्रा भंडार पर कम दबाव पड़ेगा।
वैश्विक स्तर पर रुपये की पहचान बढ़ेगी – जब अधिक देश रुपये में व्यापार करेंगे, तो इसका महत्व वैश्विक स्तर पर डॉलर और यूरो की तरह बढ़ सकता है।
महंगाई पर असर – रुपये की मजबूती से लंबे समय में आयात-निर्यात पर सकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे महंगाई नियंत्रित रहेगी।
भारत की साख बढ़ेगी – यह कदम भारत को वित्तीय दृष्टि से अधिक मजबूत और आत्मनिर्भर बनाएगा।
इस बड़े फैसले के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या रुपया अब डॉलर की तरह ग्लोबल करेंसी बन सकता है? विशेषज्ञ मानते हैं कि यह शुरुआत भर है। किसी भी करेंसी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने के लिए कई शर्तें पूरी करनी होती हैं, जैसे–
उस देश की अर्थव्यवस्था स्थिर हो।
मुद्रा को वैश्विक बाजार में आसानी से स्वीकार किया जाए।
विदेशी निवेशकों और कंपनियों का भरोसा बना रहे।
भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और IMF तथा विश्व बैंक जैसी संस्थाएं भी इसके विकास की सराहना कर चुकी हैं। ऐसे में रुपया भविष्य में एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय करेंसी बन सकता है।
अमेरिकी डॉलर लंबे समय से वैश्विक व्यापार का आधार रहा है। हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद कई देश डॉलर के विकल्प तलाश रहे हैं। BRICS देशों का यह फैसला डॉलर के दबदबे को चुनौती देने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है
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