मधुबन सीट पर सियासी संग्राम: चार दशक से परिवार का दबदबा | बिहार
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मधुबन सीट पर सियासी संग्राम: चार दशक से परिवार का दबदबा

2025 चुनाव से पहले फिर गर्माई मधुबन की राजनीति....

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मोतिहारी/बिहार: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मधुबन सीट एक बार फिर सुर्खियों में है। पूर्वी चंपारण जिले की इस विधानसभा सीट पर लंबे समय से एक ही परिवार का दबदबा रहा है। 2020 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार राणा रणधीर सिंह ने जीत दर्ज की थी और अब आगामी चुनाव में भी इस सीट पर सियासी मुकाबला काफी दिलचस्प माना जा रहा है।

मधुबन विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास काफी रोचक रहा है। इस सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुए थे। उस समय निर्दलीय उम्मीदवार रूपलाल राय ने कांग्रेस को हराकर सभी को चौंका दिया था। इसके बाद 1960 और 70 के दशक में यहां कांग्रेस और भाकपा का वर्चस्व रहा। 1985 से 2000 तक जनता दल के सीताराम सिंह ने लगातार चार चुनाव जीतकर इस सीट को अपने परिवार की पहचान बना दिया।

2005 में सीताराम सिंह के बेटे राणा रणधीर ने भी चुनावी मैदान में उतरकर जीत हासिल की। हालांकि, उसी वर्ष हुए दूसरे चुनाव में जदयू के शिवजी राय ने उन्हें कड़ी टक्कर देते हुए जीत दर्ज की। 2010 में भी शिवजी राय ने लगातार दूसरी जीत हासिल की। लेकिन 2015 में राणा रणधीर भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे और इस सीट पर पहली बार भाजपा को जीत दिलाई। इसके बाद 2020 में भी उन्होंने जीत का सिलसिला जारी रखा।

मधुबन सीट पर अब तक कांग्रेस, भाकपा, जनता दल, राजद, जदयू और भाजपा सभी दलों का प्रभाव देखने को मिला है। लेकिन पिछले तीन चुनावों में भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार भी मुकाबला भाजपा और जदयू-राजद गठबंधन के बीच ही रहेगा।

चुनावी समीकरणों और जातीय गणित के कारण मधुबन सीट पर हमेशा ही मुकाबला कांटे का रहा है। यही वजह है कि बिहार चुनाव 2025 में यह सीट एक बार फिर पूरे राज्य का ध्यान अपनी ओर खींच रही है।

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