अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाया, लाखों नौकरियों पर संकट
News around you

अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाया, लाखों नौकरियों पर संकट

वस्त्र, झींगा, चमड़ा और आभूषण उद्योग पर भारी असर...

14

नई दिल्ली: अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले प्रमुख उत्पादों पर 50% आयात शुल्क (टैरिफ) लागू करने की घोषणा की है। यह शुल्क 27 अगस्त 2025 से लागू होगा और इससे भारत के श्रम-आधारित उद्योगों पर गहरा असर पड़ सकता है।

अब तक 25% अतिरिक्त शुल्क लागू था, लेकिन रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के चलते अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त 25% पेनल्टी और जोड़ दी, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया।

 किन क्षेत्रों पर पड़ेगा सीधा असर?

भारत का अमेरिका को कुल निर्यात 86.5 अरब डॉलर का है, जिसमें से 60 अरब डॉलर का सामान अब 50% टैरिफ के दायरे में आएगा। इस कदम से निम्नलिखित श्रमिक-प्रधान क्षेत्रों पर संकट गहरा सकता है:

  • वस्त्र उद्योग: भारत का 10.3 अरब डॉलर का वस्त्र निर्यात सीधे प्रभावित होगा। AEPC (अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर के मुताबिक, भारतीय परिधान अब वैश्विक बाजार में 30% तक महंगे हो जाएंगे।

  • चमड़ा व जूते: उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों का कहना है कि कई फैक्ट्रियों को उत्पादन रोकना पड़ेगा और छंटनी की नौबत आ सकती है।

  • रत्न व आभूषण: अमेरिका भारत के रत्न और आभूषणों का सबसे बड़ा बाजार है। निर्यातकों को ऑर्डर में गिरावट और नौकरियों में कटौती की आशंका है।

  • समुद्री उत्पाद (झींगा): झींगे पर शुल्क बढ़ने से भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को नुकसान होगा।

 क्या पहले से दिख रहा है असर?

जुलाई 2025 में ही अमेरिका को भारत का निर्यात 19.94% बढ़कर 8 अरब डॉलर पहुंच गया, क्योंकि कंपनियों ने शुल्क बढ़ने से पहले ही ज्यादा माल भेजना शुरू कर दिया था।

 विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, अगर यह टैरिफ बना रहा तो 2026 तक अमेरिका को भारत का निर्यात 43% गिरकर 49.6 अरब डॉलर रह सकता है।
GTRI प्रमुख अजय श्रीवास्तव का कहना है,

“यह रणनीतिक झटका है। भारत मजदूर-आधारित बाजारों में अपनी पकड़ खो सकता है और लाखों रोज़गार पर संकट है।”


 भारत को क्या नुकसान हो सकता है?
  • अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धा से बाहर हो सकते हैं

  • वियतनाम, बांग्लादेश, तुर्की जैसे देशों को सीधा फायदा मिलेगा

  • श्रमिकों की नौकरियों पर सीधा असर

  • उत्पादन घटने से MSME सेक्टर पर असर

निर्यातकों की मांग है कि सरकार तत्काल कदम उठाए:

  • समय पर GST रिफंड

  • SEZ कानून में सुधार

  • दीर्घकालिक निर्यात नीति का निर्माण

 क्या है समाधान का रास्ता?

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की बातचीत चल रही है, जिसका लक्ष्य 191 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाना है। लेकिन जब तक कोई समझौता नहीं होता, उद्योगों और रोजगार दोनों पर गहरा दबाव बना रहेगा।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया

“दुनिया में आज आर्थिक स्वार्थ की राजनीति हो रही है। सब कोई अपना फायदा करने में लगा है। हम सब कुछ देख रहे हैं। सरकार लघु उद्यमियों, किसानों, पशुपालकों का अहित नहीं होने देगी। दबाव कितना ही क्यों न हो, हम झेलने की ताकत बढ़ाते जाएंगे।”


 निष्कर्ष:

अमेरिकी टैरिफ नीति भारत के लिए एक बड़ा व्यापारिक झटका है। इसका सबसे अधिक असर उन उद्योगों पर होगा, जो लाखों श्रमिकों को रोजगार देते हैं। अगर जल्द ही कोई नीति या समझौता नहीं हुआ, तो भारत को वैश्विक निर्यात प्रतिस्पर्धा में बड़ी हानि झेलनी पड़ सकती है।

You might also like

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Join WhatsApp Group