सेवानिवृत्ति से छह माह पहले नहीं एडवांस
हरियाणा सरकार ने जीपीएफ एडवांस पर लगाई रोक, नियम सख्त किए…..
हरियाणा सरकार ने राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) एडवांस को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब कोई भी कर्मचारी या अधिकारी अपनी सेवा अवधि के अंतिम छह महीनों में एडवांस जीपीएफ नहीं ले सकेगा। यह निर्णय मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने मंगलवार को लिया और सभी प्रशासनिक सचिवों को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं।
सरकार का कहना है कि यह कदम जीपीएफ की प्रक्रिया में आ रही अनियमितताओं को रोकने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। अक्सर देखा जाता है कि सेवानिवृत्ति के नजदीक आने पर कई कर्मचारी एडवांस लेने की कोशिश करते हैं, जिससे न केवल रिकॉर्ड में गड़बड़ी होती है बल्कि सेवानिवृत्ति लाभों की गणना में भी मुश्किलें आती हैं।
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया है कि अब सेवानिवृत्ति से छह महीने पहले तक कर्मचारियों को एडवांस की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यह नियम सभी विभागों, बोर्डों और निगमों पर समान रूप से लागू होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि भविष्य निधि का सही ढंग से संचालन हो और कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति पर मिलने वाली राशि में कोई देरी या विवाद न हो।
कर्मचारियों में इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कुछ का कहना है कि यह कदम उचित है क्योंकि इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और जीपीएफ का सही प्रबंधन होगा। वहीं, कुछ कर्मचारी इसे कठोर मान रहे हैं। उनका कहना है कि कई बार सेवानिवृत्ति से कुछ महीने पहले व्यक्तिगत या पारिवारिक कारणों से पैसों की जरूरत पड़ जाती है और ऐसे में एडवांस सुविधा मददगार साबित होती है।
वित्त विभाग का मानना है कि इस फैसले से राज्य की वित्तीय व्यवस्था पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। एडवांस की वजह से अक्सर जीपीएफ खातों में असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती थी, जिसे सुधारना मुश्किल होता था। अब इस रोक के चलते खाते साफ-सुथरे रहेंगे और रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को उनकी संपूर्ण राशि आसानी से मिल सकेगी।
सरकार ने साथ ही यह भी कहा है कि कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्ति लाभ समय पर और पूरी पारदर्शिता से दिए जाएंगे। इसके लिए संबंधित विभागों को जिम्मेदारी तय करने और निगरानी बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
यह फैसला हरियाणा के हजारों कर्मचारियों पर असर डालेगा। खासकर वे कर्मचारी जो आने वाले समय में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उन्हें अब अपनी वित्तीय योजनाओं में बदलाव करना होगा। सरकार का मानना है कि यदि समय रहते नियम लागू नहीं किए जाते तो भविष्य में और ज्यादा गड़बड़ियां हो सकती थीं।
यह कदम निश्चित रूप से वित्तीय अनुशासन की दिशा में एक बड़ा बदलाव है। अब देखना होगा कि कर्मचारी वर्ग इस निर्णय को कितनी सहजता से स्वीकार करता है और इसका भविष्य में क्या असर देखने को मिलता है।
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