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गंदे पानी की जहरीली सब्जियां स्वास्थ्य हेतु घातक

हमारे सामुदायिक स्वास्थ्य विषेषज्ञ, *डॉ नरेश पुरोहित, सलाहकार – राष्ट्रीय संक्रामक रोग निंयत्रण कार्यक्रम, शहरों में सस्ती बिकती सब्जियों की सच्चाई का पर्दाफाश करते हुए

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नई दिल्ली/ भोपाल: गंदे पानी की सब्जियां आज देश की राजधानी से लेकर प्रत्येक शहर के बाजारों की सच्चाई है। हरी और पत्तेदार सब्जियां मानव स्वास्थ्य के लिए बजाय लाभदायक होने के जानलेवा साबित हो रही है। विभिन्न रोगो से पीडित बच्चो से बुजर्ग तक के लिए चिकित्सक हरी और पत्तेदार सब्जियों को जीवनदायी बता कर सेवन करने की सलाह देते है मगर यही सब्जियां अब हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है।

मिर्च मसाले, दालें, अनाज और खाने-पीने की वस्तुएं तो पहले ही मिलावटी मिल रही थी। अब रही सही कसर प्रदूषित और खतरनाक रसायनों से युक्त हरी सब्जियों ने पूरी कर दी है। स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाने वाली हरी सब्जियां घर घर बीमारियां बाँट रही है। प्रदेश सहित देश के अधिकांश राज्यों में लोग गंदे पानी की हरी सब्जियों का सेवन कर रहे है। सब्जियां रोज सब्जी मंडी से ठेलों- वाहनो के माध्यम से घर-घर तक पहुंच रही है। ये प्रदूषित और जहरीली सब्जिया घर-घर में बीमारियाँ को बाँट रही है।

वैज्ञानिकों के अनुसार गंदे पानी में घुले कास्टिक, सीसा, सल्फर, लेड, केडमियम, जिंक, निकिल आदि तत्व सब्जियों के जरिए शरीर में प्रवेश करके बीमारियों को न्योता दे रहे हैं। शहरो के नाले का पानी इतना गंदा व जहरीला है कि वहां खड़े होकर सांस लेना भी मुश्किल है। लेकिन इंजन पम्प लगाकर इस गंदे पानी से धड़ल्ले से सब्जियां और फसलें उगाई जाकर बाजार में बेची जा रही है। नाले के गंदे पानी से सींचकर उगाई जा रही सब्जी अपने साथ तमाम बीमारियों के जीवाणु लोगों के घरों तक पहुंचा रही हैं।

हरी सब्जी से अच्छी सेहत की उम्मीद लगा रहे लोगों के लिए यह सब्जी घातक साबित हो सकती है। ऐसा भी देखा गया है अखबारों में दूषित सब्जियों के समाचार छपने पर जिम्मेदार सरकारी विभाग कार्यवाही की लीपापोती करते है, मगर जहरीली सब्जियों का कारोबार रुकता नहीं है। वर्षों से यह धंधा चल रहा है।

मानव को स्वस्थ्य एवं निरोग रहने के लिए पोषण युक्त आहार की जरुरत होती है। इस आहार से हमें ऐसे खनिज तत्व, विटामिन एवं अन्यान्य पोषक पदार्थ मिलते है जो शरीर की वृद्धि के साथ-साथ उसे निरोग रखने में सहायक होते है। मगर लाख टके का सवाल है पोषणयुक्त हरी सब्जियां कहाँ मिलेगी। जो हरी सब्जियां आम आदमी को उपलब्ध होती है वे गंदे नाले अथवा गंदे पानी में उत्पन्न की जा रही है। यही नहीं कई प्रकार के केमिकल मिलाकर भी हरी सब्जिया बेची जा रही है। सब्जियों के भाव आसमान को छू रहे है।

ऐसा लगता है हरी सब्जिया आम आदमी की पहुँच से दूर हो गयी है और यदि मिल भी रही है तो वे जहरीली है। इससे निरोगी होने के बजाय अनेक बीमारियों के जकड़न में फंसने की संभावना ज्यादा रहती है। घर के बड़े और बुजुर्ग अपने परिवार के सदस्यों से सदा हरी सब्जियों के सेवन पर जोर डालते है। खुदा न खास्ता कभी अस्पताल का रुख करना पड़ जाये तो
वहां भी चिकित्सक आपको हरी सब्जियां खाने की सलाह देते मिल जायेंगे। आज की हमारी जीवन शैली के मधे नजर हरी सब्जियों पर विस्तृत विवेचना की जरुरत है।

स्वस्थ व सेहतमंद रहने, बीमारियों से बचने और वजन घटाने में हरी सब्जियों का प्रयोग किया जाता है। बाजारों में बिक रही सब्जियों व फलों में बड़े पैमाने पर कीटनाशक का प्रयोग किया जा रहा है। जिसका मानव शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। आज हर कोई हर दिन बाजार से कीटनाशक के छिड़काव वाली जहरीली सब्जियां खरीदता है। हम अपने खाने में हर दिन किसी न किसी रूप में जहर खा रहे हैं। शुद्ध हरी सब्जियों का मिलना आज मुश्किल हो गया है। लौकी, तुरई, पालक, फूलगोभी, पत्तागोभी आदि सब्जियों में तरह तरह की रायायनिक खाद के साथ ही जहरीले कीटनाशक मिला कर खुलेआम बेचा जा रहा है। हम न चाहते हुए भी जहरीली सब्जियां खाने को मजबूर है। बाजारों, सड़क किनारों और ठेलों पर हमें हरी सब्जियां देखने को मिल जाती है मगर हम में से अधिकांश को यह पत्ता नहीं है की ये सब्जियां जहरीली है। जो सब्जियां हम खा रहे हैं वे प्रदूषित है क्योंकि आलू, बैंगन, अरवी, लाल साग, मूली, भिंडी और फूल गोभी के भीतर छिपा बैठा है जानलेवा जहर।

एक सर्वे बताता है कि देश के करोड़ों लोग ऐसे फल व सब्जियां खा रहे हैं, जो किसी भी लिहाज से हमारे शरीर में जाने के योग्य नहीं है। ये फल व सब्जियां कीटनाशकों का प्रयोग कर विकसित की जा रही है।

दुकानदार परवल, तुरई, लौकी, भिंडी, अदरख आदि को ताजा बनाए रखने के लिए इन्हें रसायन युक्त पानी से धोते हैं। इससे सब्जी दिखने में अधिक ताजी और हरी-भरी दिखाई देती है। देश के अधिकांश नगरीय क्षेत्रों में गंदे पानी से सब्जियां उगाई जा रही है। शासन प्रशासन के रोकथाम के प्रयास विफल है। आम आदमी इस सम्बन्ध में जागरूक नहीं है। चमकीली सब्जियां देखते ही हम लेने के लिए ललचाते है और यह नहीं देखते कि ये सब्जियां हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मगर हमारे पास लेने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है। यह धीमा जहर है जो सब्जियों के रास्ते हमारे शरीर में पहुंचकर विभिन्न बीमारियों दे रहा है। सब्जियों में छिड़के जाने वाले ये केमिकल जब शरीर में प्रवेश करते हैं तो हायपरटेंशन, डिप्रेशन, माइग्रेन, अस्थमा और त्वचा संबंधी कई बीमारियों को जन्म देते हैं। यह भी सच है भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल में हमें यह देखने और सोचने की फुर्सत नहीं है कि हमें क्या खाना है और क्या नहीं ?


*डॉ नरेश पुरोहित- एमडी, डीएनबी , डीआई एच , एमएचए, एमआरसीपी (यूके) एक महामारी रोग विशेषज्ञ हैं। वे भारत के राष्ट्रीय संक्रामक रोग नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार हैं। मध्य प्रदेश एवं दूसरे प्रदेशों की सरकारी संस्थाओं में विजिटिंग प्रोफेसर हैं। राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम , राष्ट्रीय पर्यावरण एवं वायु प्रदूषण के संस्थान के सलाहकार हैं। एसोसिएशन ऑफ किडनी केयर स्ट्डीज एवं हॉस्पिटल प्रबंधन एसोसिएशन के भी सलाहकार हैं।

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